क़लम थी, वो जो टूट गई,
अब स्याही ख़रीदने से क्या।-
शायर को शायरी लिखने का सबब होता है..!
हर शायरी में शायर का लकब होता है..!!
यूं तो कभी हो जाते है अल्फाज़ भी जुदा..!
उसी अल्फाज़ में शायर का वकब होता है..!!
शायरी तो अच्छी बनती नहीं बनानी पड़ती है..!
गर लफ्ज़ मिल गए तो उसमे जज़्बात होता है..!!
कागज़ के लिए कलम कुर्बान हो जाता है..!
हर शायर अपनी शायरी का पहचान होता है..!!
_📝Razi
-
देखा है मैंने...
आज भी पेंसिल से लिखती है वो ,
गलतियां करती है वो ,
सुधारती है... और आगे लिखती है वो ।
देखा है मैंने...
आजकल पेन से लिखती है वो ,
गलतियां करती है वो ,
पन्ने फाड़ती है... और आगे बढ़ती है वो ।
-
पता नहीं कैसे मिल जाती है लोगों को खोयी हुई मौहब्बत वापस
मेरा तो पेन भी गुम हो जाये तो दोबारा नहीं मिलता-
वो हमसे इस तरह रिश्ता - नाता तोड़ गए।Y
नाकाबिल,केवल कलम-कागज छोड़ गए।।Z-
मोह कहो या प्रेम क्या हर्ज़ है
गलती मिटाना तो रबर का फर्ज़ है
अपने अपने कर्म निभाए जा रहे हैं
संग में जीवन बिताए जा रहे हैं
अच्छे बुरे लिखे की ज़िम्मेदारी उठाता है
पेन हमें संभल के चलना सिखाता है
कोई साथी नहीं जो ढाँप सके गलतियाँ
स्वयं पर भरोसे को हम में जगाता है
-
करोड़ो हैं मेरी क़लम से निकले शब्द के दीवाने,
कोई मेरे लिख़ने की वज़ह समझ पाता तो क्या बात होती।।-
जब तक पेंसिल हाथ में था
गलतियां मिट जाया करती थी
Pen ने सारी गलतियों को जोड़
Pain में तब्दील कर दिया-