पी मोरे लौट आये मोरे अँगना
आज मोरे अँगना दिवाली रे
कह दो सखियन से मोरी
बीन लाये फूल बगियन से
आज मोरे पी जी की निकली सवारी रे
दिल भया कोई रेलगाड़ी सा
नहीं बीते है बाट जोती रैन
मोरे साजन की छवि बिराजे
न डालूँ मैं काजल अब इन नैन
रे सखी रे मोरी सेज़ सजाओ री
रे मोहे कँगन पायल पहनाओ री
बना दो मोहे दुल्हन पिया जी की
रे आज पीया मिलन की तैयारी री
सारे सरीर अँग-अँग मोरे
हलचल प्रेम उमँग
पी जी आये परदेस से
मैं तो भई मस्त मलंग
- साकेत गर्ग 'सागा'-
एक बार फिर अपना बचपन जी रहा हूँ मैं
मुस्कुराते हुए अपने आँसू पी रहा हूँ मैं
लोग फिर रहे हैं लिये हाथों में नमक
चुपके चुपके अपने जख्मों को सी रहा हूँ मैं-
यूँ तो लुभाते रहे कईं 'तारे' मुझे
चमकते, टिमटिमाते, जगमगाते
पर कोई भी तारा मुझे लुभा ना पाया
मुझे तो बस वो 'चाँद' पसंद आया
ना चमक, ना धमक, ना बनावट
जिस का हर दाग़ 'सच्चा' नज़र आया
जो 'शीतलता' उसमें है वो किसी में नहीं
जो 'सादगी' उसमें है वो किसी में नहीं
उसकी 'रानाई' से जो करे मुकाबला
ऐसा कोई इस सारी क़ायनात में नहीं
उसके 'दाग़' हैं, तो मेरा भी 'अँधेरा' है
उसकी चमक है, रौशन हुआ दिल मेरा है
वो मेरा 'पी' है, 'मलंग' मैं हूँ
वो मेरी 'रूह' है, 'ज़िस्म' मैं हूँ
बस...
मेरा चाँद है और मैं हूँ
- साकेत गर्ग 'सागा'-
जिस तरह हँस रहा हूँ मैं पी पी के गर्म अश्क
यूँ दूसरा हँसे तो कलेजा निकल पड़े-
पी जी मोहे दरस दिखा गये फ़िर आज
मोरे सूते भाग जगा गये फ़िर आज
बावरी, बावरी, बावरी बन फिरूँ मैं
पी जी मोहे बावरी बना गये फ़िर आज
था अंधकार बिन दरस पिया जी के
पी जी प्रेम अलख जगा गये फ़िर आज
- साकेत गर्ग 'सागा'-
हर जाम पी गया मैं, ऐ दर्दे-जिंदगानी
फिर भी बड़ा तरसा हूं, कुछ और शराब दे दो-
तेरी तस्वीर देखकर लड़खड़ाए कुछ ऐसे
महफ़िल ने मान लिया हमने पी रख्खी है-
तेरी यादों की प्यास बुझाने के लिए,
हर पल एक घूँट दर्द का पी लेती हूँ।-
मैं भी चल नर से नारायण हो जाऊँ ,
पी कर पि नाम का हाला
भाव सरिता से ऐसे उत्तरायण हो जाऊँ-