बचपन से अभी तक अगर कुछ नहीं बदला तो ये है की,
हम तब भी शून्य के पीछे दौड़ते थे और भी आज भी।-
पता न था ज़िंदगी में ये मोड़ आएगा,
पुरानी यादों से नाता जुड़ जाएगा ।
प्यारा-हँसता-खिलखिलाता
समय कहीं खो जाएगा,
पर यकीन है मुझे जल्द ही
खुशियों का समुद्र मुझे मिल जाएगा।
खुशियों का एक मुट्ठी आसमान
ही तो कल्पना थी,
ज़िंदगी मेरी खुशियों के रंगों से सजी
एक अल्पना थी।।-
जब लोग आपके "पीछे" पड़ने लगे,
तो आप समझिए कि आप उनसे "आगे"
निकल रहे हैं..!!!!!
(:--स्तुति)-
पीछे मुड़कर देखा -
जब लगे -
आगे बढ़ने की धुन में
खुशी पीछे छूटी है तो
पीछे मुड़ना , पाप नहीं
जब लगे -
जीवन दौड़ की प्रतियोगिता नहीं
आनंद की प्रक्रिया है तो
थोड़ा थमना , अथाह नहीं
जब लगे -
कदम आगे दौड़े या पीछे मोड़ें
अंत सभी का एक है तो
आदर्श बातें , यथार्थ नहीं I
- प्रज्ञा प्रांजली
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जो है आगे उन्हें पीछे धकेलते हैं
नये नये खेल हर रोज़ खेलते हैं
हम तो हैं बेबाक़ कुछ भी बोलते हैं
चुपचाप वो हमें हर रोज़ झेलते हैं-
कश्ती और कहानी
ले आतें हैं ऐसा मोड़,
जो ले जाते हैं हमको आगे,
उन्हें देते हम पीछे छोड़।-
मैं जाते जाते
अपने पैरों के निशान…
नहीं छोड़ना चाहती,
जिसके पीछे जा रही हूं,
उसे अपने पीछे…
नहीं आने देना चाहती।-
देश क्यों पिछड़ रहा है ये जाना मैंने।
जिन्हें होना था आगे वो पीछे चल रहे हैं।-