*कोरोना वायरस विशेष पंक्तियां*
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भारतीय कोरोना वायरस भी बड़ा अजीब है, गालिब
कोचिंग संस्थाओं व शादियों में शीघ्र पहुंच जाता है।
चुनाव प्रचार हो या राजनैतिक पार्टी का कार्यक्रम,
तो उसमें किसी नेता के पास तक नही पहुंच पाता।।
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"सुनें इस आवाज को ध्यान से
ये भ्रष्टाचार के खिलाफ
कुछ बोल रहा हैं
ये पृथ्वी भी
डोल रहा
है ,,-
मैं जाता ही नहीं ऐसी पार्टियों में
जहाँ जो सिंगल आते हैं, डबल लौटते हैं
और जो डबल आते हैं, सिंगल लौटते हैं।
मैं तो अपनी शाम,
बिताता हूँ कलम, किताब या कविता के साथ।-
✍️~"रात की पार्टी - झगड़ालू मित्र"~
अनजाने में न जाने उन्हें हम क्या कह गए!
जो हम देखे उन्हें तो बस देखते ही रह गए!
शुरूआत में अश्रुधारा मूसलाधार थी, जो थमी।
अब रह जो गई थी तो वह थी आँखों की नमी।
सोच रहा था रूक जाए, ठहर जाए जल्द "आब-ए-चश्म"।
मानो कह रहा था मैं, सब करो खतम अब भूला के "गम"।
वांछित पीड़ा से आनंदित होने की उनकी ख्वाहिशों ने मुझे सच बताया।
पागलपन था या फँसाने की साज़िशें थीं, ये उन्होंने चक्रव्यूह रच बताया।
नावाकिफ़ था समीप के चौराहों से, रात में मुझे वापस लौटना भी तो था!
अचानक निकाले गए खंज़रों ने आँखें बंद की, न मुझे और टूटना जो था!
सर्दी की हवाओं ने जोर पकड़ी तो वह जाड़े का मौसम मारने चला था।
मध्यरात्रि फिर हल्की बारिश चहलकदमी कर हिम्मत उतारने चला था।
जैसे तैसे भीगते रूख किया घर की ओर, लगा चहुँओर सन्नाटा था।
दिखे इक्के दुक्के थे राह किनारे कमरों के नीचे, बारिश ने जो डाँटा था।
पार्टियाँ मित्रों की हो, नशाखोरी हो वहाँ तो न जाने का आगे विचार किया।
नावाकिफ़ था ठीक जगह से, खुदा जाने, यह दिक्कत मैंने कैसे पार किया।-
✍️"मित्र के परिजन, पार्टी एवं हम "
बन्दोबस्त बेहतरीन थी जो परिजन उनके, खुशी से बिंदास खा रहे थे।
दूर से निहारते ही रहे हम शाकाहारी बन वहाँ सभी हड्डियाँ चबा रहे थे।
आदतन शाकाहारी ठहरे तो मिलावट चम्मचों में देख रात भूखा सोए!
भूला दिया था उसने हमें हमारी पसंद से अनभिज्ञ थे सोच हल्का रोए!-
सत्ता की लालच ने पति - पत्नी को बांट दिया,
फिर झूठा दिलासा देकर, पार्टी ने बस ठाठ किया!
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रक्त रंजित है धरती
भीगे है नयन उदास है मन
शत शत नमन वीर जवानों को
थम गई है कलम
मज़हबी हिंसा का हो अंत
आये देश में अमन
शहादत वीर जवानों की व्यर्थ न जाये
नेता पार्टी से पहले देश के बन जाये-
जब सारे रिलेटिव्ज़ मेरे खिलाफ़
एक हो जाते हैं तो..
कसम से
बीजेपी वाली फीलिंग आती है..
जिसके लिए सारी पार्टी एक हो जाती हैं
😂
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हमें आपके दर्द में शामिल होना है
खुशियों में तो सभी लोग होते है
किसे रोटी का टुकड़ा भी हासिल नही है
तो किसी की थाली में छप्पन भोग होते है-
*देश भर में पड़ रही,कपकंपाती ठंड पर विभिन्न दलों की राय इस प्रकार हो सकती है।*
।।व्यंग्य।।
(अनुशीर्षक में पड़ें)
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