ढेर सारी लाइक्स
और कुछ कमेंट्स
यही तो खाते हैं नाश्ते में
ये फ़ोन थामे
भीड़ में भी
अकेले जीने वाले लोग।-
वो रात भर सेकती है तनहाई के पराठे
मैं हर सुबह उन नज़्मों का नाश्ता करता हूँ-
परेशान हो जाती हो, जिस दिन माँग लेता हूँ नाश्ता जल्दी।
उससे भी ज्यादा परेशान होती हो, जिस दिन माँगता नहीं नाश्ता।-
हम देख रहे थे उनका रास्ता जिनको नहीं हमसे कोई वास्ता।
चलो हम भी बदल लेते हैं रास्ता और खा लेते हैं थोड़ा सा पास्ता।।-
जिस तरह तुम
सुबह से रात तक
बनाती हो चाय, कॉफ़ी, नाश्ता,
पकाती हो तरह तरह के व्यंजन
अपने और अपने परिवार के लिये।
मैं लिखता हूँ
अपनी भावनाओं को
बस अपने और अपने प्यार के लिये।-
मूंगफली और मटर की अभिलाषा पर
पोहे की उम्मीदों को पूरा करने,
हमने समझ से कढ़ाई से की बात...
"चलो इन पर करते हैं आज उपकार"
पहले कढ़ाई को तेल और सौंफ का दिया अर्घ
राई फिर मचलते हुए भुनने को तैयार,
मिर्च,लहसुन,प्याज़,आलू,मटर,टमाटर
ने जो लगाई फिर लंबी-सी कतार,
पोहे की भी आंखें चमकने लगी
कि मुझको सजाने आए सब महाराज,
फिर धनिया और भुजिया आगे बढ़ी
बोलीं "हमारे बिना हैं सब बेकार"
और यूं पूरी हुई हमारे नाश्ते की दरकार।-