वो नज़रें इनायत इस कदर कर गये
हमारी नज़रअंदाज़ी बेअसर कर गये....-
मोहब्बत और नाराज़गी दोनों ही जताई थी हमने
ये तो आपकी नज़रेइनायत थी
के फ़कत नाराज़गियों पर ही ग़ौर किया आपने...shree💕-
जो है दिल में जगह,
तो बस इतना कर.......!
जिनको है जरुरत तेरी,
नज़रें उन पर भी इनायत कर.....!!
#अक्स-
कुछ एहसास हैं जो अल्फाज़ बनकर निकलते है
ये वो मुसाफ़िर हैं जो मेरे साथ कागज़ पर चलते हैं
उनको परवाह नहीं किसी शिकवा शिकायत की
बहुत ही एहतराम के साथ मेरा सफर तय करते हैं-
यूं नज़रे जो मिली आपसे ,होश हम अपना खो बैठे ,
ना ना करते हुए भी अपना ये दिल तुमपे ही गवां बैठे।-
जब नज़रों से कत्ल करती थी तुम ,
तब तेरी नज़रों से मर के भी जिया करते थे हम...
ओर आज यूं जब नजरें चुराती हो तुम,
तो मेरी जां जी कर भी हर पल मरते है हम...-
कोई साथ हो न हो अब फ़र्क नही पड़ता "विवेक"
ख़ुदा की नज़र-ए-इनायत काफ़ी है बसर के लिए-
नज़रें इनायत
मैं उनकी नज़रें इनायत की एक एक बूंद को तरसता रहा
उनका प्यार तो सावन बनके किसी और पे बरसता रहा।-
एहसासों की क्या बात कहें ,
आपकी नज़रों ने क्या कम बहकाया है!
स्पर्शों की क्या चाह करें,
किस्मत ने हमें यूँही नहीं हर बार मिलाया है!
💚😌💕
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फिर हम कहेंगे, "चश्मेबद्दूर -
किसी की नज़र न लगे यार" !
न हो जाए ये मौका,ये दस्तूर-
किसी चश्मे-बद का शिकार !
नज़रे इनायत हो तुझ पर -
चश्मे की तुझे नहीं,
तेरे दुश्मनों को हो दरकार !
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