लेकिन मैं हर बार कहती हूँ
पूर्ण विराम लगा दो ,उन तमाम
ज़मानी मुद्दो को ...
ये हमें बेफिक्री से मिलने भी नहीं देती ...
जीने भी नहीं देती ...
और मरने भी नहीं देती ..-
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ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्|
उर्वारुकमिव बन्धनात् मृ... read more
लेकिन मैं हर बार कहती हूँ
पूर्ण विराम लगा दो ,उन तमाम
ज़मानी मुद्दो को ...
ये हमें बेफिक्री से मिलने भी नहीं देती ...
जीने भी नहीं देती ...
और मरने भी नहीं देती ..-
प्रेम में बंधी मर्यादा , मर्यादा में बंधा प्रेम
जितना अधूरा वो वहाँ , उतनी अधूरी मैं-
मेरे जीवन में होने वाली
हर एक अनौपचारिक
गतिविधियों के सिर्फ
तुम
जिम्मेदार हो ।।-
दुःख ! कष्ट ! अफसोस ! वेदना ! व्यथा ! शोक ! संताप ! मातम ! पीड़ा ! विपदा ! खेद ! खिलाफ ! तकलीफ ! कसक ! अवसाद ! आफत ! कुढ़न ! खिन्नता ! गम ! ग्लानि ! जहमत ! टीस ! ताप ! त्रास ! दर्द ! दरद ! दुखड़ा ! बला ! वियाधी ! मलाल ! मुसीबत ! मसला ! जलन ! चुभन ! कहन ! कथन ! व्यथन !!
और अंत में इंतजार...........अनादि अनन्त....-
मैं तुम्हें उपहार स्वरूप,
अपने कुछ ज़ज्बात भेजता हूँ ।।
सुबह के छोटे से खंड में,
चहचहाते हुए पंछियों को तुम्हारे पास भेजता हूँ ।।
तपती दोपहरी और सुरमई शाम के ,
झिलमिलाती रातों का थोड़ा सा आकाश भेजता हूँ ।।
बदलते मौसम की, इन नाचती हुई हवाओं में
कुछ मेरे कुछ तुम्हारे अनछुए एहसास भेजता हूँ।।
फूलों में बिखरी परागों की खुशबू जो तुम्हारी रूह को महका दे ,
ऐसे इत्रों को मैं बेहिसाब भेजता हूँ ।।
जो नित नये तुम्हारे भविष्य को सवारे ,
ऐसी प्रार्थनाओं को हर बार भेजता हूँ ।।
मैं तुम्हें उपहार स्वरूप.....-
अजनबी के प्रति प्रेम , वह प्रेम ...
जिसमें कोई अपेक्षा नहीं ,कोई माँग नहीं
कोई ईर्ष्या नहीं ,कोई द्वेष नहीं
कोई कलह नहीं ,कोई अंहकार नहीं
कोई नाम नहीं ......
वह प्रेम एक सहज दान हो जाता है
जैसे आपका मिलन हो गया परमात्मा से
जैसे बारिश की बूंद का सागर से मिलन
जैसे रेत के कण का रेगिस्तान से...
जैसे आत्मा का आत्मा से परिपूर्णन
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प्रेम को ह्रदय से निकालकर
वास्तविकता की ओर जाना
उतना ही कठिन है ...
जितना आपका
जीवित होकर मृत हो जाना-
कुछ चुनिंदा लम्हों की यादगार तस्वीरें
जो रूह को छू गए....
वो लम्हें तमाम उम्र मेरे दिल में रह गए
भले ही कितने गिले शिकवें हुए हो ,,
और मिलों की दूरियाँ भी
वो पल मेरे कैमरे में कैद रह गए....-
स्वछंद भाव सा प्रेम मेरा
ना उधार लिया , ना नकली है
ना अस्थिर है , ना क्षणिक है
जो अनवरत बहे उस व्यक्ति पर
वो ना समझे , तो भ्रमिक है ।।
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