प्रत्येक धर्म का उद्देश्य मानव जाति में सभ्यता के गुणों का विकास करना है।
जिस व्यक्ति में सभ्यता के गुण होते हैं।
वह व्यक्ति वास्तव में धार्मिक है।
धार्मिकता ओर कुछ नहीं है, सभ्य समाज का सदस्य होने का प्रमाण पत्र है।
संभव है कि कुछ व्यक्तियों को अलग धर्म (विश्वविद्यालय) से यह प्रमाण पत्र प्राप्त हुआ हो।
जिसे अन्य धर्म (विश्वविद्यालय) द्वारा मान्यता प्राप्त न हो।-
मां है हिन्दू ,मैं ईसाई
बहन मुस्लिम, सिख है भाई..
कर्म में है भेद थोड़ा,
धर्म में सब भाई - भाई..!
ईश्वर अल्ला रब्ब ख़ुदा...
सब नाम का, एक ही साई..!!-
Social media पर ईश्वर , देशभक्ति एवं
राजनीती के नाम से उन्माद फैलाइये,आपके बच्चे सकारात्मक सोचेंगे और ईश्वर आपसे प्रसन्न होंगे !-
कहत कठिन समुझत कठिन साधक कठिन बिबेक।
होइ घुनाच्छर न्याय जौं पुनि प्रत्यूह अनेक।।
Please read caption🙏-
अगर आप अपने आप को धार्मिक कहते है।
और पशुओ जीव-जन्तु के साथ आपका हिंसा का क्रुरता का नाता है।
तो आप किसी दृष्टि कही से किसी कोण से धार्मिक नही है।-
अपना देश भारत....
विभिन्न पंथों से जानी जाती है,कट्टरपंथों से नहीं ।
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प्रेम में डूबे रहो प्रभु के
पाओ रस सब सुखो के।
रचाने दो उसे अपनी लीला
तुम देखो उत्सुक बालक से।
नहीं बस में तेरे कोई प्रयास
छोड़दो तुम यह झूठी कयास।
प्रभु स्वयं निर्देशक निर्माता है।
तुम्हे बस किरदार बखूबी निभाना है।।-