Jagjeet Singh Batra   (जगजीत shayar)
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Joined 10 March 2020


Joined 10 March 2020
9 JUN AT 13:57

अक्सर ख़याल आता है
तेरे यूँ चले जाने के बाद
इन तस्वीरों सा मैं रह गया
वो मंज़र निकल जाने के बाद

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9 JUN AT 13:50

रात अक्सर वैसे ही होले से छा जाती हैं
भीड़ में जैसे तेरी याद होले से छा जाती हैं

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30 MAY AT 20:41

आखिर कैसे छोड़ दूँ
ये जिद्द तुम्हें चाहने की
आसान नहीं है राह साँस
की जिस्म छोड़ जाने की

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30 MAY AT 18:54

ये तेज बहती दुनिया
इसके तेज बदलते रंग
बैठे हम यूँही किनारे पर
कहीं छूट ना जाए संग

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30 MAY AT 11:56

माचिस के डिब्बों जैसे बनते ये घर
शोर और मिट्टी के रोज बढ़ते हुए डर
कैसे समा पाएगी ये बढ़ती हुई भीड़
है तंग रास्ते दिलों में जब हर तरफ़

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14 APR AT 12:13

ख्वाहिशों के समंदर बस यूँही भरते नहीं
सब्र की हर एक बूंद का इम्तिहान होता है

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6 APR AT 19:03

जिद् और सनक अगर मिल जाए और
असमान ना टूटे तो उसे करिश्मा समझो

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6 APR AT 18:50

सारी जिंदगी के माने बेकार हुए
अपनों से यूं जब हम बेजार हुए

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24 MAR AT 11:00

रात काली कितनी भी हो
टिकती कहा है
दिन सफेद कितना भी हो
रुकता कहा है

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13 JAN AT 18:31

फिर मेरी याद अपने मतलब से आई
या फिर दिल से मज़बूर हुए हो तुम


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