ख्वाहिशों के समंदर बस यूँही भरते नहीं
सब्र की हर एक बूंद का इम्तिहान होता है
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Jagjeet Singh Batra
(जगजीत shayar)
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Joined 10 March 2020
14 APR AT 12:13
24 MAR AT 11:00
रात काली कितनी भी हो
टिकती कहा है
दिन सफेद कितना भी हो
रुकता कहा है-
9 JAN AT 13:41
साथ सुहाना है तो मौसम की फर्माइश नहीं
साथ अनजाना है तो महल भी मुफ़ीद नहीं
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31 DEC 2024 AT 17:58
हर हाल में खुश रहना नहीं कोई सज़ा है
ग़र ये आजाये समझ फिर मज़ा ही मज़ा हैं
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31 DEC 2024 AT 17:51
हम थे जिस लायक वहीँ तो पहुंचे है
इधर उधर की बातें तो सिर्फ़ धोखे हैं-
10 DEC 2024 AT 16:07
तुम्हें ना पाकर भी हर तरफ हल्ला है
जीने लायक नहीं अब ये मोहल्ला है-
10 DEC 2024 AT 14:46
जुबां पर शब्द अब और कोई आता ही नहीं
पर दिल तुझे याद किए बिना रहता ही नहीं-