अजीब से है कुछ लोग भी ना
जीते जी मां-बाप की सेवा नहीं करते,
और उनके मर्णोउपरांत गौ दान तक करते हैं।।-
पुराने दरख़्तों के साये में पल रहें हैं कुछ पौधे
जड़ों से काट कर उन्हें दर-बदर ना करो...!-
दादी का उठना
बाबा का टहलना
माँ जैसे सपने में भी..
देख रही हो चूल्हा-चौका।
सूरज अभी आना था बाकी
अभी सवेरा हुआ नहीं था।
मैंने कम, ही देखे हैं
आँखों से लाली-छटा
मद्धम तेज़ वाला सूरज
आज्ञा लें उनसे, अतिशय होता।
सूरज अभी आना था बाकी
अभी सवेरा हुआ नहीं था।-
वो इंटे भी अब जर्जर हो रही हैं, आपके जाने के बाद
आ जाइए कि घर मे नूर आ जाऐ,
मुमकिन नही है किसी का गुजर आपके बगैर .........-
अगर कभी वक्त मिले
दादा दादी को भी गले से लगा देना।
उनके बूढ़े हाथों से
आशीष की बौछार गजब की होती है।।-
बाल ,यौवन और जवानी से
परे भी एक उम्र नूरानी है
दादा दादी और नाना नानी की भी
अपनी ही एक दिलचस्प कहानी है
पोता पोती और नातन नाती की फरमाइशों
में ठहर जाती जिनकी जिंदगानी है
ऐसी अनमोल धरोहर ही
हमारे पुरखों की निशानी है
अनुभवों की छत्रछाया में संभलती जिनके
बालपन और युवा पीढ़ी की नादानी है
ऐसी अनमोल सीखों से भरी हमारे
दादा दादी और नाना नानी की जिंदगानी है
दुआओं की नीव और
संस्कारों की निशानी है
हां ऐसी अद्वितीय हमारे
बुजुर्गों की कहानी है
✍️✍️-
जब भी वक्त मिले..
तो अपने घर की बुजरगों ..
से बात कर लिया करो ..
क्या पता जब आप बात करना चाहे ..
तब उनके पास ही वक्त ना हो ..
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पत्र लिखता हूं एक
दादा ने दादी को लिखा हुआ है
मेरी हमसफ़र
लिखते है हम कुछ आपके लिए,जो बरसों गुजर चुके है हमारे संसार को हुए। सभी परिवार एक था हमारा ।
सबकुछ अच्छा चल रहा था कुछ इस तरह,दो छोटे बेटे हमारे और एक अपनी लाड़ली बेटी।
कितनी मस्ती किया करते थे ना।
खेलते थे,झगड़ते थे, अपने घर में गोल गोल घुमा करते थे।
जैसे बड़े हुए शादी की उम्र हो गई उनकी।
शादी करा दी उनकी दो बहू घर में प्रवेश की
घर में लक्ष्मी के पांव से।और अपनी बेटी
किसी और के घर की हो गई।
दो तीन साल गुजर गए दोनों बेटों को बच्चे हुए
उन बच्चो को साथ खेल के
हमारा भी दिन निकल जाता था
अच्छा खासा परिवार अपना बहुत सुखी था
ना जाने कैसे दोनों भाईयों
में झगड़े होने लगे दिन ब दिनऔर
अलग रहने की बात की जायदाद का बटवारा हुआ
उसके साथ साथ हमें भी बाट लिया
एक बेटे साथ हम और एक बेटे के साथ तुम।
सब खुशी एक झटके में ही ख़तम
बस अब यही एक तरीका है हमारे पास बोलने का ।
कुछ दिन के मेहमान है हम
ऐसे ही जिंदगी काट लेना
हम में से कोई भी पहले मर जाए
दोनों साथ साथ मरेंगे
मरने के बाद भी हमारा प्यार बरकरार रहेगा
आपका हमसफ़र
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मेरी भी अंजुरि के जल से तर कर दो,
इस पितृपक्ष में मेरे भी ऋण कुछ कम कर दो🙏🏻-
इसके बिना न कोई निशानी
हर कोई करता इसकी निगरानी
अमृत जैसी जिसकी बानी
मन को भाए ये बानी
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बाबुल के कंधे की शानी
दादा दादी नाना नानी
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