संजीदा सी ज़िंदगी में, यूँ मुस्कुराहट चंद है
बिखरे शब्द हैं सभी ,न कविता है न छंद है
क्या कहें कि आजकल लगता अधूरा सा है सब
पड़ोसी की ताक-झाँक...जाने क्यों बंद है🤔🙄
😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃-
रंजिश ही सही
दिल दुखाने के लिए आ।
इतनी देर से
ताक-झांक कर रहा हूँ,,,
कम्बख्त!
दर्शन तो दे,, भले
मुँह तोड़ जाने के लिए आ।-
ताक-झाँक क्या करते रहते हो बारहा प्रोफ़ाइल पर
छुप-छुपकर पढ़ने से बेहतर है रू-ब-रू हमसे मिलो 😄
----राजीव नयन-
किसने पीटा किसने मारा पहले ये बतला
कर ले सिकाई भेजे की तू मुझको न फसा
नाम तेरा जुबान पे अपनी लाऊंगा न कभी
जा जा अपना मुँह धोले हटा सावन की घटा-
चल ठीक है सूज गए मेरे गाल हो गए लाल टमाटर
सुन मेरी बात अब तू ज्यादा भी ना कर चटर पटर
जब नाम बन ही गया छेड़खानी का तो डरूं किसलिए
भले धोया जाऊं धोबी घाट या गेरा जाऊं किसी गटर-
जो तुम ताक झाँक करते हो।
कभी खोलते हो कभी बंद करते हो,
क्युं ऐसे अरमानों को खाक करते हो।
मै ज्वाला हूँ मै ज्योति हूँ,
तुम क्युं मुझे राख करते हो।
मेरा दिल कोई खिड़की नहीं,
जो तुम ताक झाँक करते हो।— % &-
पहले ख़ुद कि ज़िंदगी के उलझन सुलझा लो
फ़िर दूसरों के जिंदगियों की पहेलियाँ सुलझाना-
प्रायः होते हैं लोग,आदत से लाचार
कभी स्वयं पर भी, कर लिया करें विचार।।
दुसरों की जिंदगी में,करते ताका झांकी,
सिखने को जीवन में, रहा न कुछ भी बाकी।।
-