अभिमान करता फिर रहा, मैंने किया सब काम।
मूर्ख क्यो तू नही जान रहा ये सब प्रभु के हाथ ।।-
तेरे बिना ये दिल धड़कता तो है मगर,
हर धड़कन अब अधूरी सी लगती है।
तेरे होंठों की नमी से ही प्यास बुझती है,
तेरी मुस्कान से ही मेरी दुनिया सजती है।
तेरे आलिंगन में रातें चाँदनी सी खिलती हैं,
तेरे संग हर घड़ी सृष्टि की धड़कन सी मिलती है।
तेरी साँसों की गर्मी में अग्नि प्रज्वलित होती है,
तेरे लबों की छुअन से रूह भी द्रवित होती है।
तेरे संग मिलन कोई क्षणिक सुख नहीं,
ये तो जन्मों का संचित प्रण लगती है,,
तू ही मेरी आराधना, अब तू ही मेरी साधना है,
तेरे बिना मेरा अस्तित्व भी निरर्थक सा दिखता है l
मेरे संकल्पों की शक्ति है अब तुझको पाने में,
जैसे तेरे मेरे मिलन को ही ये जीवन मिला है l
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तेरे इश्क़ और वफ़ा पर ज्योतिष का प्रभाव लगता हैं,,
जो लगे साढ़ेसाती तो क़मतर हो जाता है,,,
जो हो भाग्य में राजयोग तो जन्नत दिखलाता है,,,!
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प्रथम में शुक्र ,सप्तम में गुरु।
बुद्ध भी है बहुत बलबान।
कुंडली सब कुछ कह रही।
होगा ये कोई संत महान।।-
तारीफे करूं उनकी तो शब्द नहीं मिलते l
अरे इतने खूबसूरत सख्श जहां मैं नहीं दिखते l
लोग समझेंगे मजाक , जो कहूँ की वो मेरा बनने वाला है ll
सच है भगवती सा स्वरूप ही मेरे घर आने वाला है ll
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चाह कहती है ,खूबसूरती का फायदा उठा।
दिल कहता है , ये आवारगी भी ठीक नही।।-
वो दिखाने गयी थी अपना हाथ ज्योतिष को,
कमबख़्त ज्योतिष को मेरे नाम की लक़ीर दिखी ही नही
- साकेत गर्ग-
दोस्तों आज बात करते है
TURTLE यानि कछुआ के बारे में
आगे का अनुशीर्शक मे पढे
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आपकी कमाई का लाभ
कोई भी उठा सकता है,
लेकिन आपके कर्मो का फल
आपको स्वयं ही भुगतान पड़ता है"
जय श्री कृष्ण-
जाने क्या क्या बिक रहा, आजकल बाजार में
सजी हुई हैं दुकानें, ठेले खड़े कतार में
कोई इतिहास बेच रहा, कोई बेचे धर्म
ज्योतिष और योग का, है बाजार गर्म
पानी कब से बिक रहा, अब बिकेगी धूप
बिकता है साबुन के भाव, विश्व सुंदरी का रूप
मोनालिसा की मुस्कान हो, या विन्ची की कूची
बड़ी लंबी है दोस्तों, फॉर सेल की सूचि
फोन पर सेक्स बेचती बाला, युवा हैं कंफ्यूज
किसी का किस है बिकता, बनकर ब्रेकिंग न्यूज़
नैनो बिकेगी लाख में, कुछ महीने बाद
बिक रहा है आसमान, होगा चाँद आबाद
मैं भी चाहूँ कि घुम आऊँ, न्यूयॉर्क या सिडनी
दाम सुनकर पता चला, बेचनी होगी किडनी
वर्दी बिकती, कुर्सी बिकती, बिक जाता है वोट
तुम भी खरीदो भारत रतन, अगर जेब में नोट
सभी यहाँ पर सौदागर, अलग अलग है वेश
जाने किन किन हाथों से, बिक रहा है देश-