❤❤मेरी हमसफर❤❤
👉● गम में मुस्कुराने का हुनर जानती हो
मेरी हमसफर शायरी लिखना जानती हो
👉● उसके हाथ की चाय और होंठो के स्पर्श से खुले आँख मेरी
मेरी मॉर्निंग को वो गुड मॉर्निंग बनाना जानती हो
👉● रंग बादाम सा हो या दूध सा हो उसका
ख़्वाहिश इतनी है कि दिल में जगह बनाना जानती हो
👉● मासुम चेहरा ,कातिल सी निगाहे रखती हो
पतली सी कमर ओर होंठो पर हँसी रखती हो
👉● मैं उसकी मानूंगा वो मेरी मानती हो
हर बात कहने की जरूरत ना हो वो मेरी खामोशी भी जानती हो
👉● वे-वजह की तू-तू मैं-मैं से दूर रहती हो
मेरी हमसफर रिश्ते निभाना जानती हो
👉● टूट ज़ाऊ जब मुसीबते देख कर
वो मेरे होंसले को जोडना जानती हो
👉● गंभीरता ज़रूरी हैं मगर खुद को चिन्ता मुक्त रखती हो
थोड़ा बचपना रखती हो थोड़ी शरारते भी जानती हो
👉● जब मेरे साथ हो तो मैं दुनिया भूल ज़ाऊ
मुझे इश्क के नशे में ड़ूबो कर रखती हो-
एक छोटी सी लव स्टोरी
दो राही,
रास्ता एक,
मंज़िल एक,
साथ मिले,
नज़रे मिली,
कुछ दूर साथ चले,
थोड़ी देर बाद
बात हुई,
जान पहचान बनी,
दिल मिले,
साथ जीने मरने की कसमे खाई,
कुछ दूर और चले,
थोड़ा झगड़ा हुआ,
बात बंद हुई,
थोड़ी देर बाद
याद आई,
फिर बात हुई,
गिले शिकवे मिटाए,
मंज़िल तक पहुँचे
जीवन साथी बनकर.....!-
अपने होठों पर तुम्हें सजाना चाहती हूं,
तुम्हारी प्रेम धुन मैं गुनगुना चाहती हूं।
अपने आंखों में तुम्हें बसाना चाहती हूं,
तुझे आंखों का काजल बनाना चाहती हूं।
अपने दिल को तेरे लिए धरकाना चाहती हूं,
अपने सांसों की डोर तुम्हें सौंपना चाहती हूं।
अपने ग़ज़लों में तुम्हें सामाना चाहती हूं,
अपनी कविता का शीर्षक बनाना कहती हूं।
हर रस्म रिवाज़ दिल से निभाना चाहती हूं,
तुम्हें अपना जीवन साथी बनाना चाहती हूं।
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दोस्त और परिवार जीवन के सबसे अच्छे साथी होते हैं।
चाहे आप कितने भी दूर क्यों न हो, लेकिन दिल में तो हमेशा आपके पास ही होते हैं।।-
इक नाव है जिंदगी
और पतवार है अपने हाथ
चंद लम्हों का है सफ़र
बस छूटे ना तेरा मेरा साथ
चलते हैं हम दो कदम अगर
बढ़ते हैं इस सफर पर कुछ डगर
सपने संजोए ठहर जाएं कभी
बस रुक ना जाना तू मौन साध
खीच लेना मुझे, रुकना चाहें हम अगर
ना टूटने देना साथी इस सफ़र को मगर
कभी जो थक जाए तू राह चलते अगर
बुला देना मुझे इक बार बिना कोई डर
चल पड़ेंगे दोनों लेकर हौसलों का साथ
पाएंगे मंजिल इक रोज़ हम
निभाकर एक दूजे का साथ
है चंद लम्हों का ही सफ़र जो
ना छोड़ना बस कभी मेरा साथ
इक नाव है बस अपनी जिंदगी
और इक पतवार है जो अपने हाथ..
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तेरी मोहब्बत की चाशनी मैं
दुब जाने को जी चाहता है
पर क्या करे कमबख्त शुगर हो जाने का डर भी तो आ जाता है-