Ratanjeet Pratap Singh   (अनमोल_रतन)
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Joined 27 December 2019


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Joined 27 December 2019
8 JUN AT 19:57

वो क्या था जिसे हम ने ठुकरा दिया
मगर उम्र भर हाथ मलते रहेl

मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी
किराए के घर थे बदलते रहेll

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10 AUG 2024 AT 13:17

"तुम कह देते हाल-ए-दिल अपना
गर ना सुनते हम तो और बात थी...
चले जाते तुम दूर तो कोई गम नहीं
मगर पास आ, दूर चले जाना इक बात है !!

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1 AUG 2024 AT 20:23

दौर-ए-जिंदगी मे फ़ुर्सत के लम्हो को गवारा करके
जीते हैं सब यहां पर कितने तूफानों से इशारा करके
वे हैं दरिया जिसका हर कतरा है इक भंवर की तरह
चलते हैं सभी वक्त के बाज़ार मे मगर ख़सारा करके

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1 MAR 2023 AT 21:24

इश्क उसने भी किया है, इश्क हमने भी किया है
उनकी तरह ना होकर, हमारी ऐसी बेज़ार गुजरी है
हरपल खुशग्वार रहा उनके लिए ये सफ़र-ए-इश्क
हमारी यूं लंबी उम्र की दुआ भी नागवार गुजरी है...

वफ़ा जो की थी उनसे, वही निभाते रहे उम्र भर हम
दास्ता-ए-इश्क सारी वफ़ा के उसी मज़ार पे गुजरी है
शायद भूल जाती ये शब-ए-ग़म की दास्तान, मगर वो
हसीं सूरत उनकी दिल-ओ-दस्तक बार बार गुजरी हैं..

इश्क उसने किया, इश्क हमने किया, इश्क सबने किया
मगर हमारी दास्तां-ए-इश्क़ क्यूं हरदम बेज़ार गुजरी है......






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8 NOV 2022 AT 23:26

वो पास है लेकिन लकीरें आधी आधी लगती हैं
उसको देखूं तो धड़कन भागी भागी लगती हैं
उसके चेहरे को देखूं तो इनकार दिखता है
उसके नजरों में झांकू तो राजी राजी लगती हैं
छोरी झुमका पायल पहर नशीली लागे हैं
छोरा बिन पिए मदहोश.......
कोई साकी वाकी लगती है....!
छोरा बिन पिए मदहोश
कोई साकी वाकी लगती है...!!

@mcsquare @raagini

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30 OCT 2022 AT 11:34

तेरे खयाल से खुद को छुपा के देखा है
दिल-ओ-नज़र को रुला-रुला के देखा है
तू नही है तो कुछ भी नही है , तेरी कसम !!
हमने कुछ पल तुझको भूला के देखा है....

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26 SEP 2022 AT 22:55

इक शिकन भी ना उभर सका मेरे माथे पर तब भी
तेरे स्वीकारोक्ति का ये भार जबकि आसमानी था
पूरी उम्र रहा मैं बस इस मुगालते में यहां पर, के है
जिसपे रखा इश्क-ओ-ताज़ मिरा, वो बस पानी था

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14 SEP 2022 AT 20:44

देवनागरी लिपि में उद्धृत जनमानस का व्यवहार है
मां की ममता समेटे हुए मातृभाषा का ये वो श्रृंगार है
भारत माता की शिरोरेखा पर बनी सजावट की बिंदी है
जो मानव को 'अ'नपढ़ से 'ज्ञा'नी बनाए वो भाषा हिंदी है

सादर हिंदी दिवस की शुभकामनाएं 🙏🙏

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27 AUG 2022 AT 23:41

दिल-ए-नाकाम का दीदार-ए-मुंतजिर कैसा हुआ ?
दिल-ओ-जहां पर दूरियों के मुद्दसिर जैसा हुआ.!!
ये आलम तो है ही मुहब्बत के मुंतजिर का ऐसा के,..
वक्त भी रुखसत औ जेहन भी मुहाजिर जैसा हुआ ..!

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25 AUG 2022 AT 0:39

इस राह में साथ चलते साथी इतना सरोकार रख लेना
हो जहां भी थोड़ी सी छांव वही पर थोड़ा प्यार रख देना

मंजिल पाकर भी हिस्से में सफर की यादें ही रह जायेंगी
मगर, अपने हिस्से में सफर और मेंरे में इंतज़ार रख देना

इक पूरी उम्र तो है तुम्हारी अब भी मेरे जेहन के हिस्से में
इक पूरी उम्र के लिए हमे बस जेहन-ओ-रहगुजार रख लेना

हो जहां भी थोड़ी सी छांव वहीं पर थोड़ा प्यार रख लेना
इस राह में साथ निभाते साथी बस इतना सरोकार रख लेना

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