"तुम इतना छोटा छोटा क्यों लिखते हो?"
"साँसे भी कम हैं और शब्द भी।"-
छोटे और छोटी,
मैं इतना बड़ा तो नहीं हुआ कि तुम्हें कुछ सिखा सकूँ,पर इस छोटी सी जिंदगी से लड़ते लड़ते उसके सामने डट के खड़े रहने का हुनर सीख गया हूँ । जहां भी रहना उस जगह से कुछ न कुछ सीखना जरूर क्योंकि जगहें जितना सिखाती हैं उतना इंसान नहीं सिखा सकता,हर जगह की खासियत को महसूस करके उसे खुद में आत्मसात करने का प्रयास करना।प्रतिकूलता स्वीकारना,यही वो समय है जब बुद्धि को विकसित होने का मौका मिलता है।हमेशा प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए तैयार रहना क्योंकि जो प्रतिकूल परिस्थितियों के लिए तैयार रहता है उसी के लिए परिस्थितियां अनुकूल होती हैं। कभी हारने से डरना नहीं पर जीत के लिए संघर्ष जरूर करना और हां संघर्ष आया हुआ नहीं स्वीकारा हुआ होना चाहिए।अगर कहीं अधिक समय तक टिकना हो तो हमेशा साध्य और साधन दोनों पवित्र चुनना।कभी कृतघ्न न होना कृतज्ञ रहना,यही फर्क है आदमी और इंसान में । हमेशा हंसते रहना क्योंकि ये हंसी ही तो है जो हमें जानवर से अलहदा पहचान देती है।ये सोचकर काम करना कि वित्त मेरा है न कि मैं वित्त का ,ये मानते रहोगे कि वित्त मेरा तो वित्त तुम्हारे पीछे भागेगा और जैसे ही ये माना कि मैं वित्त का तुम खुद वित्त के पीछे भागने लगोगे।
दूसरों पर आक्षेप के बजाय अपनी भूल स्वीकार करना सीखना। किसी से भूल भी हो तो उसे क्षमा कर देना और किसी के लिए कुछ करना तो निःस्वार्थ वृत्ती से।-
उम्र में छोटा हूं,पर तजुर्बा बहुत रखता हूं,
मुझे आंकने कि गलती मत करना,बस देखने में बच्चा लगता हूं।-
माँग कर छोटा हो जाता हूँ, दे कर बड़ा हो जाता हूँ
कई बार गिरता हूँ फिर भी, हर बार खड़ा हो जाता हूँ
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तुम पुछो और मैं ना बताऊँ,
अभी ऐसे हालात नहीं
बस एक छोटा सा दिल टुटा है,और कोई बात नहीं-
छोटी सी कहानी जो तुमने बुनी थी
बड़ा सा किस्सा बन गया था मेरा-
किसी का सरल स्वभाव की कमजोरी नहीं उसकी संस्कार होती है,
संसार में पानी और हवा बहुत ही सरल है लेकिन उसका बहुत बड़े-बड़े चट्टान और पहाड़ों को भी टुकड़े-टुकड़े कर देता है-
सभी शब्दों के जादूगर,
कोई न छोटा या बड़ा।
एक ही मिट्टी से बने
क्या दीपक और क्या घड़ा।
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