कहता है आसमाँ मुझसे,
तू उड़ तो सही मेरे संग।
खुदकी काबिलियत से
वाकिफ़ होना है तू एक
बार छलांग लगा तो सही।
(शेष अनुशीर्षक में)
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बस एक छलांग लगाना है
पलक झपकते मिल जाएगी मंजिल
बस जरा सा जोर लगाना है
रुकना नहीं,थकना नहीं
बस कदम आगे बढ़ना है
राह में आने वाले हर तूफानों से टकराना है
आत्मविश्वास की लौ जगाकर यारो
बस मंजिल तक पहुँच जाना है
दूर नहीं मंजिल यारों...-
और अगर आप गड्ढे में गिर भी गए तो
गड्ढे से निकलना भी सीख जाओगे-
सपनो की उड़ान भरिए
सोचने में समय व्यर्थ मत करिए
लगाइए एक छलांग
पहुँचिए मंजिल के पास
जिंदगी को एक मक़ाम दीजिए
खवाबों की दुनिया से बाहर निकलिए
सपनों को सच करिए
सोचते मत रहिए...-
पक्का कर लो मन को !
सिर्फ एक छलांग लगाने के लिए,
संभव होगा जाएगा सब कुछ.......-
कुएं का हर मेंढक कूपमंडूक
नहीं होता यदि उसके अपनों को
उसकी छलांग पर एतराज नहीं होता।-
किसी ने ठीक ही कहा है कि-
लंबी छलांग लगाने के लिए
कुछ कदम पीछे लेने पड़ते हैं!!-
जा.... भर ले उड़ान
किसने रोका है तुम्हे....
तेरी खोज ही तेरा जनुन होगा
किसने रोका है तुम्हे.....
तेरा विश्वास ही तेरा उत्साह है
किसने रोका है तुम्हे....
हाथ फैला के समेट ले आकाश
किसने रोका है तुम्हे....
रास्ता तेरे सामने है चल पड
किसने रोका है तुम्हे....
तेरे मन की हर ख्वाइश पूरी कर
किसने रोका है तुम्हे....
तेरे में पड़ी अच्छी सोच बता दें सबको
किसने रोका है तुम्हे....
तेरे में रही अच्छी इंसानियत दिखा दे
किसने रोका है तुम्हे....
बस....एक बार कर ले हिम्मत ...निकाल अपने डर को बाहर.... फिर देख कैसे
छलांग लगाता अपनी मन की....-
बैठने से कुछ काम नहीं बन पाते हैं
बैठने वाले बस बैठे ही रह जाते हैं
उठ चल दौड़ छलाँग मार मेरे यार
तभी होंगी राह की सारी मुश्किलें पार।।-
हम आज भी लिखने की कोशिश करते हैं
प्यार के दर्द को अल्फाज़ो में पिरोते हैं-