Ravita Gupta   (रविता)
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Joined 22 May 2020


Joined 22 May 2020
21 FEB 2024 AT 5:36

अमित ऋतु को बहुत बधाई
सालगिरह की शुभ घड़ी आई
बसंत ऋतु है ये तो भाई
फूल खिले कलियां मुसकाई,
राम करे ये हर साल आए
इस जोड़ी को मेरी उमर लग जाए
सारे जहां की खुशियां इन्हे मिल जाए
इनका हर साल हंसते हंसते कट जाए।

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6 FEB 2024 AT 18:14

साथ बहो बहती नदियां के
साथ चलो जीवन धारा के
रुकना नही ,झुकना नही
मुश्किल आए हजार
नदी को जाना सागर मिलन को
जीवन धारा को भव सागर पार
जिंदगी के दिन जितने भी बचे हो यार
हंसते रहो लिखते रहो
चाहे अच्छा लिखो या लिखो बेजार।

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2 FEB 2024 AT 11:46

जिंदगी मिलती भी है तो
हर किसी को रेडीमेड नही मिलती
किसी को ब्रांडेड
तो किसी को लोकल
किसी को सेमी स्टिच
तो किसी को मीजर्ड
और किसी को थान की शक्ल में.....
किसी को अनचाही
किसी को मन्नतो से मांगी
किसी को सोने सी चमकती
तो किसी को कोयले सी काली
मगर ये भी सच है की
जिंदगी यू ही नही मिलती
चोरासी लाख योनियों में
भटकने के बाद ही मिलती है।

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28 JAN 2024 AT 22:00

मंसूबे बांधने से भी नही होगा
अगर किस्मत ने साथ दिया तो
भैया करने से ही कछु होगा
होई है वही जो राम रची राखा
को करी तर्क बढ़ावहि साखा ।

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10 JAN 2024 AT 23:57

तू है गुरूर मेरा
तू ही मेरी शान है
तुझ पर ए लाल मेरे
जिंदगी कुर्बान है
मेरी हर सांस करे
दुआओं की बारिश सदा
तेरी किस्मत का सूरज
मुस्कुराता रहे
पूर्णमासी के चांद सी रोशन
तेरी दुनिया रहे।

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15 NOV 2023 AT 7:24

रेगिस्तान भी हरे हो जाते है
जब बहनों के साथ भाई
खड़े हो जाते है।
दुनिया का सबसे कीमती तोहफा
एक अच्छा भाई
जो कीमत से नही
किस्मत से मिलता है।
पिता की परछाई
ये जिंदगी भर साथ निभाते है
वैसे तो खुद को बड़ा बिजी दिखाते है
लेकिन जरूरत पड़ने पर बिन बुलाए
दौड़े चले आते है।

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12 NOV 2023 AT 15:13

मन में छिपे झूठ,
अहंकार रूपी अंधकार को दूर कर
अध्यात्म का दीपक
प्रज्वलित करने का ।

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15 OCT 2023 AT 13:13

जय जय जय गिरिवर राज किशोरी
जय महेश मुखचंद्र चकोरी
जय गज बदन षडानन माता
जगतजननी दामिनी दुति गाता
नही तव आदि मध्य अवसाना
अमित प्रभाव वेदहु नही जाना
भव भव विभव पराभव कारिनी
विश्व विमोहिनी स्वबस विहारिनी।

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11 SEP 2023 AT 19:41

जिन्दगी का रस
मीठा हो या कड़वा
बड़ी शिद्दत से पीते है सभी
मौत की बात करने तक से
डरते है सभी
जिन्दगी उलझाती है
मौत दामन मे सुलाती है
जीते जी सब्र नही आता
कर्मो का लेखा जोखा कराकर
मौत सब्र का खाता भी
खुलवा ही जाती है।— % &— % &

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11 SEP 2023 AT 15:03

छोड़ दिया बचपन की तरह
बात बात पर बुरा मानना,
नही करती अब कोई मनाए
ये इंतजार____
होती नही मायूस ये देखकर कि
किसी को कहां फर्क
पड़ता है अब।

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