तुम शब्दों के!
अपनी रचना रंगों से भर दो!-
ओ चित्रकार, तू कल्पना के चित्र उकेर दे,
जीवन के खाली पन्नों पर रंगों को बिखेर दें,
कुछ रंग मेरे सपनों में भी भर दें,
इस रंजीदा मौसम को फिर से हसीन कर दें ।-
लफ़्ज़ बने अगर तू तो मैं इक क़लाम हो जाऊँ,
तू मेरे नाम हो जा और मैं तेरे नाम हो जाऊँ!
ये अहसास है क्या ज़रा तुम महसूस तो करो,
बन जाओ अगर राधा तो तेरा श्याम हो जाऊँ!
एक-दूजे के वास्ते अनमोल हैं हम, ये जान लो,
बसा ले दिल में मुझे कि तेरा ईनाम हो जाऊँ!
खाली कैनवास है, इस में ज़रा तुम रंग तो भरो,
बनाओ ऐसा आकर की मैं तेरा चित्रकार हो जाऊँ!
न कर परवाह ज़माने की, बात सुन ले ऐ "तामीन",
बन जा मेरी तू हँसी, मैं तेरी खुशी तमाम हो जाऊँ!-
मन के दर्पण खोल दो..,
सबके दिलों में प्रेम के रंग घोल दो..,
सब मिल खिल के रहे इस दुनिया में..,
हे प्रभु कुछ ऐसा बोल, बोल दो...-
कुछ ऐसा रंग बिखेर की,
तेरी रंगों की चमक,
इंसानों के रूप में छिपे हैवानों को,
भी चकाचौंध कर दे,
और वो इन्सान अपने असली व्यक्तित्व,
का पूर्ण एहसास कर लें।-
रंगो से दुनिया बनाई है
ख़्वाबों में तस्वीर सजाई है
पतंगों को रंग से उड़ाई हैं
भावों को चित्र से बताई है
ओ चित्रकार तुम में कई खूबियां समाई है
-
यमलोक के सम्राट जी,
श्री के श्रीमान जी को प्रेम पत्र
प्रेम स्वीकार्य करें हमारा-
तेरे पास तो हर प्रकार के रंग है,
फिर तुम्हें तो हर नाखुशी को खुशी के रंग से भर देना चाहिए।
हर नफरत के ऊपर प्रेम का रंग छिड़क देना चाहिए।-
चल देखें किसे क्या हुआ,
घाव पुराना, दर्द नया हुआ,
क्या कुछ लब से बयाँ हुआ,
या शिर्फ़ वक्त ज़ाया हुआ।-