कहानी
दादा का डर
पढ़िए नीचे कैप्शन में-
कुदरत की सर्वोत्तम रचना ,बेहद हिम्मती हैं आप
बुद्धि के हो श्रेष्ठ खजाने,सच में बेशकीमती हैं आप
जो लेते हो ठान चित्त में ,पूरा करके रहते हो
संकल्पों को दृढ़ निश्चय ,कर लेते ,महाव्रती हैं आप
सब से मिलते बड़े प्यार से, हर कोई तुमसे स्नेह रखें अपना हो या गैर हो कोई ,सब के निकटवर्ती हैं आप
असहायों की मदद हमेशा, हरदम करते रहते हो
गुंडातत्व डरते तुमसे हैं,दुखियों के हिमायती हैं आप
दुनियां का नहीं कोई लालच,फक्कड़प्रकृति महाधनी
सबकी दुआसे मालामालहो,ऐसेअनोखे लखपति हैं आप
सचमुच बेशकीमती हैं आप......-
हुस्न उन बाजारों में खिलते हैं,
जहाँ गुंडों की रखेल हो!
जिन्हें देखकर जी मचलता रहा।
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कि नेताओं सहित गुंडों को है हासिल फ़क़त ये फ़न―
सियासत क्या है हम और तुम भला क्या ख़ाक जानेंगे!-
यह कहदो आदमी ही गन्धा हू मे
बुरा नही मानुगा मे अगर पीठ पीछे
फूस फुशाहट की तो कौन हो तुम यह नही जानूगा मे-
"यदि गुंडे को भी इज्जत देकर बोलना पड़े तो डरपोकों की फेहरिस्त में एक और डरपोक शामिल हो गया।"
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