देखो ये गुण्डा गर्दी।
हैल्मिट-कागज़ के नामों पर,
अंधाधुन चली वसूली।
दस रुपया का दस दिनों मास्क,
बचा पुलिस से लेता खाली।
पेट पालने को बस दिखती,
इन्हें गरीबों की थाली।
चमक सितारों की पैसों से,
यह है चोरों की वर्दी।
देखो ये गुण्डा गर्दी। देखो ये गुण्डा गर्दी।
धमकाते है खाकी वाले,
पीड़ित के घर वालों को।
चीखें चीख चीख मर जाती
ये बचाते हलालो को।
साक्ष जलाने में है माहिर,
भस्म करते सवालों को।
मानवता को बेच चुकी जो,
है ये भक्षक की वर्दी।
देखो ये गुण्डा गर्दी। देखो ये गुण्डा गर्दी।
ड्राइवर इनका बदलो यार,
गाड़ी रोज़ पलटती है।
विधायक जी के इशारों पर,
गाड़ी इनकी चलती है।
महंगाई के युग में खाकी,
सबसे सस्ती बिकती है।
लम्बे हाथ कट गए है ये,
लम्बी जेबों की वर्दी।
देखो ये गुण्डा गर्दी। देखो ये गुण्डा गर्दी।-
फासला तुम्हारा मीलों का, ऊपर से गज़ब की सर्दी है...🥶
ये जानलेवा सितम और दिसंबर की गुंडागर्दी है...🤐-
बचपन से बस यही देख रही हूँ, संस्कृति की रक्षा लखेरे लौंडे करते हैं। कितना भार है इन पर! कोई चाय पानी पूछो रे!
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जिस देश मे
जिम्मेदारों की गुंडागर्दी
का उपचार नहीं।
उस देश मे
गुंडों की ग़ैर-ज़िम्मेदारी पर
काहे का अफ़सोस.....?
😢शर्मनाक😢-
............और एक दिन उन्हें अपने साथ होने वाली नाइंसाफियों का भान होता है।
(पूरा कैप्शन में)-
मित्रों...
तो इस तरह से आजतक के द्वारा जेएनयू छात्र संघ (एवीबीपी) को सरेआम नंगा करने की कोशिश की गई। हम इस घटना की कड़े शब्दों में "कै कै छी छी" करते हैं। 😂😂-
जमाना क्या कहेगा ये उसकी मर्जी है,
अब यहाँ शराफत से जीना भी गुंडागर्दी है!!-
"ये जो गुंडागर्दी है।
इसके पीछे ज़र्दी है।।"
वो भी देशी नहीं,
"फार्मी अंडे की"
😡नक़्काल😡
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हाय रे मौसम बे-दर्दी करदी तूने सिरदर्दी
इश्क़ के नाम में लगा दी तूने तालाबंदी,
पड़े-पड़े रजाई में कोस रहे बादलों को
सूरज को दिखाई कैसी ये तूने गुंडागर्दी,
भेड़ें भी अब ठिठुर-ठिठुर कर रो रही
खाने में न गर्मी कोयलें को भी लगी सर्दी
कब गुज़रेंगे ये बेदर्द मौसमों के दिन?
होगी कैसे धूप से अपनी अब शागिर्दी?
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