'कोमल डाल'
बड़ी ही खूबसूरत होती है
उसकी कोमलता
हल्के हवाओं से ही
झुक कर देती हैं अपने
खूबसूरत मनोभाव का प्रतिक..
कुछ" छनिक"
क्रूर कठोर विषाक्त डाल
कर देती हैं अवरोधित
उसके बढ़ते कोमल
मनोभाव को....-
मेरी बांहों में जब तु पहली बार आई
तो तेरा कोमल सा अहसास मेरी रूह को महका गया ...
ओ नन्ही कली जब तुने मुझे पहली बार ममा बुलाया
तो तेरा वो मीठा स्वर मेरे रोम-रोम को सहला गया ...
बहुत खास हो तुम मेरे लिए क्योंकि तुमने मुझे
एक नई खुबसूरत सी पहचान से परिचय करवाया ...
मेरे गुलशन की सोनचिरैैया परवाज हो तेरी
इतनी ऊँची कि आसमाँ छू ले
और पड़े न तुझ पर कोई दुख का साया ....-
तू इत्र है , तू सर्वत्र है ।
तू गुरूर है , तू गिरने को भी स्वतंत्र है ।।
तू राज है , तू जंगल की आग है ।
तू लक्ष्य है , तू राह है ।।
तू मधुर गीत है , तू उन्माद है ।
तू सूरज की आग है ,
तू चाँद की शीतल प्रकाश है ।।
तू लिबास है , तू हृदय की गहराई में बसा भाव है।
तू नोक-झोक है , तू हँसी की बौछार है ।।
तू पूरी जज़्बात है , तू अधूरी ख्वाव है ।
तू इश्क है , तू लाल 💝 है ।।-
तू कोमल है ; कमजोर नहीं ,
तू इस धरती , पर बोझ नहीं ।
तू कलयुग की नारी है ,
तू अम्बे है, तू काली है ।
तू सरहद की करती रखवाली है ,
तू सौ दुश्मनों पर भारी है ।
तू पिता की राज-दुलारी है ,
तू माँ की आज्ञाकारी है ।
तू माता है , तू पत्नी है ,
तू बेटी है , तू बहु है ।
ए नारी तेरे मे कितना विवेक है ,
तू एक ओर तेरे रूप अनेक है ।-
तुम्हारे प्रेम में पत्थर हो गया था।
अब कविताओं ने फिर से कोमल बना दिया।-
माँ कहतीं हैं कि मैं परी हूँ
कोमल हूँ , नाजुक हूँ
शायद इसीलिये मसल दी जाती हूँ ..-
लेखकों का हृदय अत्यंत कोमल होता है,
उन्हें छोटे से शब्द से भी ठेस पहुँच सकती है।
-
अनुपम कृति
अद्भुत पहेली
शांत सुकोमल
हमारी सहेली 🌿
लगती रहस्य
एकांत अकेली
दरिया दिल
हमारी सहेली 🌿
कभी मौन
प्रगाढ़ पहेली
कभी वाचाल
हमारी सहेली 🌿
जीवन संघर्ष
लड़ती अकेली
निडर, कर्मठ
हमारी सहेली 🌿
हृदय सहिष्णु
उलझी पहेली
भाव विभोर
हमारी सहेली 🌿
मन पवित्र
निपुण नवेली
वह कोमल
हमारी सहेली 🌿-
पहले कोमल
फिर कठोर,
फिर कोमल
फिर कठोर
होना भी
मैंने प्रेम में ही जाना!-