बचपन की मस्ती
बचपन की उधम-धाड़
वो कागज़ की कश्ती
बारिशों की फ़ुहार
वो गन्ने के रस की धार
घंटी बजा के भागना बार-बार
वो साइकिल....वो झूले
वो बगीचों की बहार
छत पर भाग कर चढ़ना
टीवी एन्टीना ऐंठना बारम्बार
स्कूल था मक्का-मदीना
स्कूल ही था कारागार
नकली ही सही पर खूब दौड़ती थी
अपनी भी बड़ी कार
साथ बैठकर खाता था
जब सारा परिवार
रूठता न था कोई
सभी थे मेरे संबंधी मेरे प्यारे यार
जाने कहाँ रह गया...वो बचपन
वो बचपन का भोला प्यार
- साकेत गर्ग-
12 APR 2017 AT 2:11
20 JAN 2019 AT 6:37
कार से बढ़ गयी हमारे बीच दूरियां
बड़े रूमानी थे अपने स्कूटर वाले दिन-
23 JAN 2022 AT 7:24
जिन्दगी को फिर से रफ्तार चाहिये
दिल को किसी का प्यार चाहिये
दौड़े जो सरपट मोहब्बत की सड़क पर
आशिकी की ऐसी एक कार चाहिये-
21 JUN 2017 AT 10:52
Fact nd joke of the day
उफ्फ क्या जमाना आ गया
आज कल के रहीश लोग
अपनी बड़ी बड़ी गाड़ियों
से जिम जाते है
साईकल चलने के लिए ।।
गरीब अपनी साईकल से
उन बड़े लोगो के घर जाते है
उनकी गाड़ियां चलने के लिए ।।
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5 NOV 2022 AT 18:54
तमन्ना, आरज़ू, उम्मीद, ख़्वाहिश,
न हों ये सब तो क्या कार ए जहां हो।
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21 MAR 2021 AT 16:11
साइकिल से कार तक के सफर तक,
पहुंचते पहुंचते...
देखना कार वालों को
तवज्जो देते देते,
कहीं साइकिल वालों का...
याराना न भूल जाना।-