किस्मत ने देखो कैसा कमाल आज कर दिया
निकली थी रोटी कमाने सर पे ताज धर दिया-
खूबसूरती को दिखाकर कमाल करती हो
फ़िर क्यों किसी से कोई सवाल करती हो
आँखों में बसा रखे हैं जो मयखाने हजारों
क्या तुम किसी नज़र का ख़याल करती हो
आँखें भरकर न देखे तुम्हें तो फ़िर क्या करे
अपनी चाल से मदहोशी का बवाल करती हो
झूम गया वो हर इन्सान जिसकी नज़र पड़ी
जब-जब तुम अपने होंठों को लाल करती हो
मोहब्बत तो तुमसे पहली नज़र में कर लेंगे
बालों को खोलकर क्यों ये जमाल करती हो
आयी हो दुनिया में एक मुसाफ़िर की तरह
फ़िर क्यों किसी बात का मलाल करती हो
तुम्हारी अदाओं का दीवाना हो गया "आरिफ़"
कहर जब तुम मुस्कान को निकाल करती हो
"कोरे काग़ज़" के जैसा है जिस्म ये तुम्हारा
हुस्न उस पर लिखकर बुरा हाल करती हो-
जब वो चलती थी कमाल लगती थी,
जैसे पानी में जलता चिराग़ लगती थी,
कोई देखे गलत नज़र से तो उसे
मेरे दिल में आग लगती थी..
उसकी बातें दिल को मिठास लगती थी,
जब वो लड़ती मुझसे तो बवाल लगती थी..
कुछ बातें अच्छी तो कुछ नागवार करती थी
फ़िर भी वो मेरी धड़कनों पर राज़ करती थी..
उसके कानों का झुमका सलाम करती थी,
फिर भी वो मेरे सांसों को बेमिसाल लगती थी..
उसके लबों की हसीं क़त्लेआम करती थी
यूं ही नहीं सबको वो लाज़वाब लगती थी..!
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तुझे देखा तो एक ख्याल आया.......२
लगता तो तू कमाल का है
लेकिन ढक्कन कम था कि
पूरी की पूरी बोतल बन गए 🤣-
गज़ब हो तुम,ये तुम्हारे नखरे कमाल,
पहनती हो जब तुम साड़ी,लगती हो बवाल।-
आह-आह ख़त्म होने के बाद हुई वाह-वाह
कमाल है दर्द को भी महसूस करते हैं लोग-