मुझें क्यों बार-बार तुम मेरी औक़ात बताने लगें हो,
मैं जानता हूँ ख़ुद की औक़ात औऱ तुम मुझें अपनी औक़ात दिखाने लगे हो?-
आधी लिखूँगा....
मगर हर एक बात लिख दुँगा,
आप गालियाँ मत देना मुझे,
मेरी पीठ के पीछे,
वरना उठाली कलम..✍️..
तो आपकी औक़ात लिख दुँगा।।🙃🙃
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दुनियां बड़ी होशियार है
यहां रिश्ते सिर्फ़
औकात देखकर ही बनाए जाते हैं-
तुम्हें जो समझना है समझ लो,
मैं तुम्हें अब समझाऊँ क्या?
तुम्हें देखनी है औक़ात मेरी,
अब मैं अपनी औक़ात दिखाऊँ क्या?
तुम्हारे जो रहे यहीं हालात तो इक दिन,
तुम्हें रोना पड़ेगा आगें चल कर,
तुम्हें मैं अब इससे ज़्यादा बताऊँ क्या?-
मिटाते मिटाते मेरा वजूद तक मिटा दिया,
तुम बिन जी ना पाऊँगी कहने वाली ने औक़ात दिया,-
उसे कहाँ हैं तेरी फ़िक्र ऐ दिल-ए-नादां
वो आया था तुझे बस तेरी ज़ात बताने
बेवकूफ़ पागल बेकार निकम्मा हैं तू
वो पहलू में आया तेरी औक़ात दिखाने-
ना किसी घर, गली-मौहल्ले, दिल, ना ही ख़यालात में रहता हूँ,
हाँ मुझे अपनी हद्द मालूम है, मैं सदा औक़ात में रहता हूँ।-
हम अक्सर अपने लिए सही,
और दूसरों के लिए गलत होते है।
इसलिए बस अपनी फिक्र करो बाकियों को अपने बस वही चाहिए
जो उनकी बनने की औक़ात नही होती।-
लोग बातों ही बातों में हालात पूछ लेते हैं..,
कितना कमा लेते हो कहकर औक़ात पूछ लेते है।-