भरसक तोड़ा है भरम उस गरीब का
जो ख़ुद को बड़ा ईमानदार समझता था!
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अच्छा सुनो...
ये जो तुम अपने धर्म व देश का उपहास कर गैरों का दिल बहलाते हो,
नमकहरामों ज़रा ये तो बताओ कौन-सा नमक खाते हो ?-
तो कुछ ऐसा हैं...
ज़िन्दगी में ज्यादा ईमानदार मत बनो,
क्योंकि सीधे पेड़ हर बार काटने के लिए लिये जाते है...-
कुछ इस तरह से हमनें नव वर्ष मनाया है, जिनके कंधों पर बचपन गुजरा; कुछ समय उनके साथ बिताया है।
नाना जी ♥️-
वर्चस्व
तू किस खेत की मूली है जानता हूँ
तेरी असलियत नहीं तेरी औकात जानता हूँ
तू जितना अपने आप को सिकंदर समझ ले
तेरे झुंड में कितनी है ताक़त जानता हूँ
अब जो आयेगी तो जाने नहीं दूँगा
उसके दिल में है मेरे लिये मोहब्बत जानता हूँ
जिसे जो समझना है समझता रहे
मेरे अंदर है इमानदारी जानता हूँ
जो लिप्स्टिक लगाएगी उसे ही सब देखेंगे
सादगी का कोई नहीं है ख़रीदार जानता हूँ-
इमानदारी का ढीडोरा तो सिर्फ एक नबंरवाले बजाते है!
असलीयत तो ये है बैमानी के धंदे मै ही इमानदारी का वजूद टीका है!-
किसीं भी, काम न आयी ,हमारी ईमानदारी
यहां 'दाम' पर चल रही थी, सारी दुनियादारी-
गलत को कितना भी सही और ईमानदारी से किया जाय,
वो ग़लत हमेशा गलत ही होता है!!-