Vinod Umratkar   (✍️विनोद उमरतकर)
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Joined 28 February 2018


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Joined 28 February 2018
2 OCT AT 23:30

काही लिहत रहावे
चांगले असते लिहणे ।
आपल्याच शब्दातून
होते व्यक्त जगणे ।

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1 OCT AT 22:56

हमें दर्द देना भूल जाएगा।
देखकर हमें खुश ऐसे
दर्द ख़ुशी में मिल जाएगा।

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18 SEP AT 22:50

किसने जलाई????
मैने खत भी प्यार का
अपने दिल पे लिखा था।

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18 SEP AT 22:45

अब देना बंद हुआ।
इश्क का कॉलेज
जबसे मेरा बंद हुआ।

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18 SEP AT 22:38

रिकाम्या पावलांनी
पुन्हा आठवण दिली ।
अखेर पैजनांची पैज
प्रेमाने जिंकून दिली ।

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18 SEP AT 22:32

तुम्हारा मिलना अधूरा क्यों हैं।
मिलन की घड़ी में अंधेरा क्यों हैं।
माना की मिलन में तकलीफें बहुत
फिर तुझमें दिखता सवेरा क्यों हैं।

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18 SEP AT 22:25

दुकान लहान,जबाबदारी मोठी।
संसाराचा गाडा,लिलया चालवती ।

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18 SEP AT 22:18

सखे तू जवळ।
जरा वेळ बस ।
जिंदगीची हौस ।
फिटली ग ।।

कितीदा नव्याने ।
बघितले स्वप्न ।
प्रत्यक्षात विघ्न ।
कितीतरी ।।

आयुष्यभर तू।
असावी सोबती।
तू माझा सांगाती ।
व्हावीस ग ।।

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14 SEP AT 22:27

पाय ओढणाऱ्यांची कमी नव्हती
आता तर ओढाया लागले शेपटी।
पुढे जाणे अशक्यप्राय झाले आता
मी राहिलो जिथल्या तिथेच शेवटी ।

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14 SEP AT 22:14

आपुल्या प्रेमा पुढे
सूर्य तेज ही फिके।
परी जगासमोरी
आपणची थिटे ।

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