वक़्त के साथ जिंदगी का इंतिहान जरूरी है
सब्र जरूरी है जिंदगी में इत्मिनान जरूरी है
बिना ख़्वाहिशों के बे-रंग लगती है ये जिंदगी
ज़िंदादिली जरूरी है दिल में अरमान जरूरी है-
बहुत सी शिकायतें दर्ज करनी है तेरी ज़िंदगी की बही में,
ज़रा सी फ़ुर्सत मांग आना वक़्त से,पास मेरे इत्मिनान से बैठने-
सूरज अभी ढला नहीं, चांदनी अभी मिली नहीं
थोड़ा सब्र तो रख ए ग़ालिब, जरा सी शाम होंने दो..!
गुजर जायेगा ये वक़्त भी एक दिन, मुकद्दर की तरह
थोड़ा इत्मीनान रख,जरा मौसम तो बदलने दो..!!-
वो तेरा दोस्त है इस बात से इत्मीनान रख
परख कर उसे क्यों दिल को सज़ा देता है-
....
शिकायतें थी मेरी, प्यार में कहीं बेवफ़ाई नहीं
रूठे थे ताकि मना लेते तुम....
शिकवों में हमारी, कोई पराये तो शामिल नहीं
मुश्किलें आसान बना देते तुम....
अनजान बन गए, पर उतने अजनबी नहीं
थोड़ा इत्मीनान और कर लेते तुम....
क्या खोने का मुझे, डर भी रहा तुझे नहीं-
#सुनो..
कि अगली दफा मिलना तो जरा इत्मीनान से मिलना..
हर दफ़ा हड़बड़ी में तुम अपना दिल मेरे पास ही छोड़ जाती हो!!!-
मिन्नतें की बार-बार
इत्मीनान से हुई इनायत...!
देखें उसे बार-बार
चाहत ने भेजी जो राहत...!-
" इक इत्मीनान सा मिलता है, तुझे सोच में रख कर
इरादा तुझे ता-ज़िन्दगी रखने का, फ़िर कैसे छोड़ दें ! "-
सोचता हूं बना लूं ठिकाना अब कब्रिस्तान में
सुना है वहां रहते है लोग सकूं और इत्मीनान में-
बात करोगे बड़े ही इत्मीनान और चैन से
कब्रिस्तान जाना पड़ेगा जब मिलने वालीदैन से-