मैं इतना मुश्किल भी नहीं की कोई उलझ जाये,
मैं इतना आसां भी नहीं कि हर एक समझ जाये
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इंसां जब रंग बदलता है, तो नज़र कहाँ आता है
बस नज़रें बदल जाती हैं, लहज़ा बदल जाता है-
होली
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रंगों ने भी हार मान ली
देख इंसां के बदलते हुए रंग
दिनों बनी रहती थी जो रंगीनियां कभी
अब दो दिनों में गई बैरंग वापस होली-करके बेरंग-
" इंसान खराब नहीं होता यारों
सोच उसे खराब बना देती है,
"अच्छे लोगों की अच्छी सोच ही
उन्हें जहाँ में अमर बना देती है....!!!!!
🌸संतोष गुड़िया🌸
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मुझे याद है अपने सारे वादे
पर तुम अभी तक यहीं हो क्या
नाज़ है मुझे अपनी पसंद पे
पर तुम ज़रा सी भी खुश हो क्या
मुझे ये ख्याल बस यूं आया
कि तुम्हारे ख्याल में मैं ही हूँ क्या
इंसां हो गर इश्क़ भी ज़रूरी
पर तुम भी ऐसा सोचती हो क्या
मैं बदमस्त हूँ आशिक तेरा
तुम्हें उश्शाक से परहेज है क्या
अब मान भी जा भी ले क़बूल
न सोच ये कि ये लोग सोचेंगे क्या-
ख़ुदा बनने की कोशिश में, मैं इंसां भी न बन सकी।
अब इंसां बनने की ठानी है, ख़ुदा से जीतने ख़ातिर।।-
क्यों ख़ुद को ख़ुदा के साथ तौले हो
इंसां न बन पाए अभी तक-
और फरिश्ते बनने पे तुले हो!!
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कुत्ते हैरां हैं, ग़ालिबन कुछ बौखलाए हुए भी हैं,
इंसां ढूँढ़ने लगा है वफादारी इंसां में आज कल-
गुमां करो जनाब कि तुम इंसां हो
सलवटों के दरमियां, करवटें ना बदला करो-