कुछ मर्यादा
जीवन के लिए जरूरी रखिए
जमाने को दोष न दीजिए
खुद की सोच उम्दा रखिए👍🌹🌿-
आज जो देशभक्ति जगाई है
क्या उसे हमेशा जगा कर रख पाओगे
हमारा देश आज़ाद तो बहुत पहले हो चुका है
क्या इसे हमेशा ऐसे ही आज़ाद रख पाओगे....-
आज़ादी का मतलब
चलो निभा ली वतनपरस्ती हमने !
हाथों में तिरंगे लहराकर,
आज़ादी के कुछ गीत गाकर,
यूँ आज मना ली जश्ने-आज़ादी हमने !
(पूरी रचना कैप्शन में पढ़ें)-
जश्न-ए-आजादी मुबारक हो,
सपनों का भारत मुबारक हो,
सरहद पर गिराए लहू जिसने,
उन वीरों की जीत मुबारक हो,
जुल्मत से निकलकर बुलंदी तक,
देशबंधु देशप्रेम मुबारक हो,
ऊँचाईयों पर लहराता तिरंगा,
खुला आसमान मुबारक हो,
भाषा, संस्कृति, विचार, वेशभूषा,
धर्मों की एकता मुबारक हो,
रंजिशों से मोहब्बत की ओर,
बढ़ रहा भारत मुबारक हो.....!!
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ये समाज की एक विडम्बना है कि
स्त्री को ऊपर उठाते उठाते
हमने कब पुरुषों को गिरा दिया
पता ही नही चला।-
आज़ादी के मायने क्या हैं
हमें समझना होगा
आज़ादी का ये मतलब कतई
नहीं कि हम उद्दंड हो जाएं
या राष्ट्र, समाज और परिवार
की गरिमा आज़ादी का आड़
लेकर मिट्टी में मिला जाएं
रचना अनुशीर्षक में पढ़ें 🇮🇳🇮🇳-
लुटा दिया किसी ने अपने घर का केसर
मुझे केसरिया साफा पहनाने में
वार दी किसी ने अपने रातो की नींद
मेरे दामन में सफेदी लाने में;
भूल गया कोई अपनी बचपन-जवानी को
मुझे हरियाला छोगा ओढ़ाने में
छोड दिया किसी ने अपना खेत और घरबार
मेरे आंचल को हरा-भरा बनाने में;
ये तीन रंग जो मुझे सुशोभित करते है
ये तीनो रंग मेरे सपूतो के रक्त की गवाही है
मेरे शहीद क्रान्तिवीर सपूत ,अमर-आजादी के सिपाही है!
सुख ना मिला भगत को ,आजाद को मिला ना राज
कुर्बान किया अपना सबकुछ सौंपने को हमें भारत का ताज
हाथ लगी किसी को फांसी किसी ने छाती पर गोली खाई है!
आसानी से ना मिली आजादी ,बहुत बडी किमत चुकाई है
कोई जागता रहा बुनने को सपने स्वर्ण भारत के
किसी क्रान्तिदूत ने रोटी-कमल से लौ जलाई है
कोई उठा भोर को जल्दी; सूरज संग आंखे मिलाई है
किसी वीर ने छापकर अखबारो में अग्निलेख
क्रांति लेख से अंग्रेजो की आंखे मिचाई है!
हिन्दू-मुस्लिम, सिक्ख-गुरखा ना कहना हमें
हम सब हिन्द के वीर सिपाही है!-