QUOTES ON #आज़ाद

#आज़ाद quotes

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2 JUL 2021 AT 23:31

हर हाल में, मैं पाना चाहूं तुझे
ऐसी मोहब्बत नहीं मेरी
जा आज़ाद छोड़ती हूं तुझे
कर जो करना,मर्ज़ी तेरी

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मैं उस परिंदे
को ज़रूर आज़ाद करता हूं,
जो मुझे पिंजरे में नजर आता है।

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28 MAY 2020 AT 20:26

आज़ाद कर दिया 'एहसास' नज़रों से तुझको
ख़ुद से दूर करने की तो सारी काविशें तंग रह गई

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15 AUG 2020 AT 18:46

दे दी हमें आज़ादी बिना खड्ग बिना ढाल
साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल
भाई गाना सुनो enjoy करो
सच्चाई इसके विपरित है
आज़ादी हमें दिलाने वाली आज़ाद हिन्द सेना
का जिक्र हम क्यों नहीं करते
क्यों नहीं कहते कि
ए बोस साहब आपने जो कहा
कर दिखाया
हम तो इतने अभागे हम
अन्तिम संस्कार भी नहीं कर पाए
आपने 60,000 सैनिकों को एक जुट किया
26,000 ने शहादत दी
हम तो इतने अभागे उनके नाम भी नहीं जानते
हम तो गांधी वादी गांधी भक्त हो गए
सत्य को जाने बिना उनके संग हो गए
हम तो इतने अभागे उन्हें राष्ट्र पिता मान बैठे
असली आज़ादी के परवानों को भुला बैठे

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30 JAN 2019 AT 23:28

गिरवी रख लिया दिल मेरा,
सपनों का गला घोट दिया,
खोखला जिस्म लौटा के बोले,
जाओ आज़ाद हो तुम!

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22 FEB 2018 AT 10:38

खुदसे तुझे इस तरह आज़ाद कर लूं
तुझमे फ़ना होके, ख़ुदको आबाद कर लूं

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22 NOV 2021 AT 14:59

ज़िन्दगी को आज़ाद करते-करते
जी रहा हूँ फ़रियाद करते-करते

कोई मुझको पहचानता नहीं अब
थक गए लब इर्शाद करते-करते

अब किसी से कुछ ख़ास जानना है
क्यों जियूँ दिल बर्बाद करते-करते

ख़्वाहिशों को क्यों पालता नहीं मैं
क्या मिला घर आबाद करते-करते

काश 'आरिफ़' इक बाग़ होती दुनिया
फूल खिलते इमदाद करते-करते

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6 JUN 2021 AT 22:52

दिल याद कर रहा है फ़रियाद कर रहा है
हर रोज़ ज़िन्दगी फिर बर्बाद कर रहा है

किसने कहा था इससे हर दर्द को छुपाना
इमरोज़ अब मोहब्बत आज़ाद कर रहा है

दिल आज भी कहीं पर लगता नहीं है मेरा
नादान बस उसी का घर याद कर रहा है

वो कौन सी मोहब्बत की बात कर रहे थे
हर बात बस उन्ही की बुनियाद कर रहा है

हर हाल बस ख़ुशी थी हर हाल ज़िन्दगी थी
अब रोज़ तीरगी को आबाद कर रहा है

दिल मोम हो गया है बच धूप से तू 'आरिफ़'
ग़म से पिघल पिघल कर नाशाद कर रहा है

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4 JUN 2021 AT 12:28

आबाद कर रहा हूँ , आबाद हो रहा हूँ
ख़ुद के ग़मों से ख़ुद ही आज़ाद हो रहा हूँ

चलकर गई हैं ख़ुशियाँ हर रोज़ ही कहीं पर
मैं शाद होते-होते नाशाद हो रहा हूँ

दिल में नहीं है कुछ भी बिल्कुल हुआ है ख़ाली
भर-भर के इसको ग़म से बर्बाद हो रहा हूँ

लोगों ने मुझको माँगा जब भी हुई ज़रूरत
आख़िर किसी की मैं भी फ़रियाद हो रहा हूँ

जब भी दिया है धोखा ग़ैरों के जैसे मुझको
बिखरा हूँ टुकड़े-टुकड़े फौलाद हो रहा हूँ

पढ़ता था सबको पहले पढ़ कर हुआ था 'आरिफ़'
नादान था मगर अब जल्लाद हो रहा हूँ

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9 MAR 2022 AT 17:11

हर हाल ज़िन्दगी भी नाशाद कर चली है
कुछ ख़ास से पलों को बर्बाद कर चली है

ख़ामोश हो गया दिल गुलज़ार था जो पहले
हर साँस कुछ मोहब्बत आज़ाद कर चली है

ख़ुशहाल रह न पाया इज़हार जब किया तो
फिर इश्क़ ये किसी पर इमदाद कर चली है

बाज़ार लग रहे हैं उस ओर अब वफ़ा के
जिस ओर ये अना को आबाद कर चली है

'आरिफ़' कभी न बदला दिल तोड़कर गई वो
कुछ दूर तक रुलाकर फिर शाद कर चली है

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