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तुम्हारा शहर होना भी जायज़ है
मै ही अपने गली कूचे नहीं निकल पाया ...-
जब हम सही होते हैं
और हमारे अपने ही
हमें गलत समझते हैं
तो बहुत तकलीफ़ होती हैं-
उदग्विन मन निढाल तन
करो प्रयास कुछ जतन!
स्व अस्तित्व पर करो नज़र
राह निकालो एकाकी जीवन!
एक पग तो बढ़ाओ तुम
कहीं तो होगा अपनापन!
पहचान खुद की बना जरा
निश्चय हो कर करो गमन!
छोड़ो यह दुविधा मन की
दूर करो ये निरर्थक मनन!-
कोई कितना भी अपना क्यों न हो
वो तब तक ही बात करता है
जब तक वो अपनी बात करता है-
अच्छा नही होता रिश्तों में कड़वाहट लाना ,
जिंदगी गुजर जाती है एक रिश्ता बनाने में .....
कोई जीता है कोई हो जाता है फना ... और ,
किसी को तरस नही आता बिछड़ जाने में .....-
मैंने चाहा तब की बात,
वर्ना तुमने कब की बात!
याद तुम्हे बस आज का दिन,
भूल गई तुम तब की बात!
छीन के मुझसे मेरा दिल,
पूछे वो ये कब की बात!
फ़िर पंचायत बैठेगी तो,
होगी बेमतलब की बात!
अपनापन भी खो बैठोगे,
छोड़ो भी तकरार की बात!
दो पल की यह जिंदगानी,
कर लेते हम प्यार की बात!
_राज सोनी-
अपनापन
अपनापन तो मैने बखूबी किया
जान से ज्यादा उसे चाहा
अपने अपनो से ज्यादा
उस पे एतबार किया
जितना उसके लिए
रोया ये दिल शायद
ही किसी और के लिए
कभी रोया होगा
अपनापन तो बखुबी
निभाया मैनें
पर जिसे छोड़ कर
जाना हो वो क्या जाने
अपनापन ।।।-