Satish Kalundia   (सतीशK)
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Joined 19 September 2017


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29 MAR AT 22:01

वो कोई ख़्वाबगाह ही होगा
जहां सौ अरमान ठहरते हैं

तुम्हारी आंखें जैसे दिल है।

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29 MAR AT 0:03

रात गहरी हो गई
पलकें भारी हो गई

एक ख्वाब जागता रहा
छत की ओर देखकर...

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28 MAR AT 22:48

कहानियां सुनते रहे
आंख लगने तक...

किरदार बदलते चले गए
होश आने तक...

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28 MAR AT 20:30

अंधेरा जीवन का मिट जाता है।

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28 MAR AT 20:24

तुम
पेड़ बनना
उस मरुस्थल की,
दूसरों को छांव देकर
लेकिन अपने अंदर छांव बचाकर।

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26 MAR AT 12:50

सौ सितम सह रहे हैं हम बेमुरव्वत के लिए।

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24 MAR AT 23:38

हल निकलना मुश्किल है
हमारा मिलना मुश्किल है

दो रास्ते साथ चलने की
ख्वाहिश लिये हुए
मंजिल पे बिछड़ना मुश्किल है
हमारा मिलना मुश्किल है

जन्म जन्मांतर के कसमें वादे
धरे रह जाएंगे
ऐसे में हाथ छुड़ाना मुश्किल है
हमारा मिलना मुश्किल है।

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24 MAR AT 23:27

एक सहारा मेरा भी था
एक सितारा मेरा भी था

आज रौशनी में नहाया हूं
कल तलक अंधेरा मेरा भी था

महफ़िल लूटने का हुनर
एक आशना मेरा भी था

सौ फूल मुबारक तुम्हे
एक बाग़बान मेरा भी था।

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18 MAR AT 22:21

एक मोड़ पर
जहाँ एक सफर
दो अलग रास्ते में बंट गए थे,

आज वो हमसफ़र
अपने जुदा रास्तों पर
उस मोड़ का
आरजू करते हैं।

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16 MAR AT 20:35

घर लिपती हुई औरतें
गीत गातीं हैं,

फसल काटती हुई औरतें
गीत गातीं हैं,

धान कूटती हुई औरतें
गीत गातीं हैं,

जीवन के संघर्षों को
पिरो लेती है गीतों में,

कितना सुंदर होता होगा ना
अपने दुख को बोल देना...

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