उसकी बातों में सच नहीं होता।
मिरा दोस्त भी 'अख़बार' जैसा है।-
मुफ़लिसी है आजकल रहबर की
हर रास्ते ने खुदको धोखेबाज़ बना रखा है
मेरे अपने हो तो पढ़ सकते हो मुझे
मैंने चेहरे को उर्दू का अखबार बना रखा है
-
मेरा दिल बेबस है शहर के अखबार की तरह
वो ताकत-वर है विज्ञापन के बाज़ार की तरह
मेरी किस्मत कि मुझे रद्दी के भाव बिकना है
उसे मुस्कुराते हुए छपना है हर-बार की तरह
गिरते गिरते तू कितना गिर गया है, 'निशान'
इस्तेमाल रोज हो जाता है, औज़ार की तरह
-
अखबार
मैं छुप कर उसका इजहार देखता हूँ।
सालों बिछड़े हो ऐसे हर बार देखता हूँ।
वो दिख जाये मुझे अखबार मे कहीं
इसलिए हीं तो मै अखबार देखता हूँ।
-
हमारे देश के लोगों के दिलों में,
ही काला बाजारी हो गई,
तभी तो हमारे देश में शवों के,
कफ़न की भी चोर हो गई।-
जुर्म वही बस किरदार बदल गया ।
खबर वही बस अखबार बदल गया ।
सत्ता आज भी सरेआम नीलाम है,
कीमत वही बस ठेकेदार बदल गया ।-
हम से जुदा होने की बात से घबरा जाते थे
अचानक ही उनके लिए अन्जान हो गया हूँ।
देखकर अब अक़्सर मुँह फेर लिया करते हैं
जैसे कोई पुराना अख़बार हो गया हूँ।।-
सोच रहा हूं खबर छपवा दूं अखबार में।
किस कदर धोखा मुझे मिला है प्यार में।।
प्यार मुझे तो भी खूब मिला दोस्तों!
मगर रकीब के पछवाड़ में।
कुछ इस कदर मैं उसका हो गया था।
प्यार दिखता था मुझे उसकी फटकार में।।
मुझसे उसे भुलाना बहुत आसान है दोस्तों!
मगर यादें बसी है उसकी, घर के दीवार में।।
साथ रहूंगी उम्र भर तेरे कहकर!
छोड़ गई मुझे बीच मझधार में।।
चाहत है शरीर किनारे और मैं ऊपर जाऊं!
मगर नहीं मैं क्यूं मरूं बेकार में।।
वादा रहा उससे से भी ज्यादा खुश रहूंगा मैं।
इस मतलबी संसार में।।-
झूठ हर घंटे टेलीविजन पर चीखता है।
सच अखबार के पन्नों में कहीं खो जाता है।-