QUOTES ON #辛弃疾《摸鱼儿》(更能消几番风雨)所包蕴的情感内容有( )。 A、对国势危殆的忧虑 B、对报国无门的悲愤 C、对权奸当道的怒斥 D、对羁旅行役的困倦 E、对年华虚掷的激愤

#辛弃疾《摸鱼儿》(更能消几番风雨)所包蕴的情感内容有( )。 a、对国势危殆的忧虑 b、对报国无门的悲愤 c、对权奸当道的怒斥 d、对羁旅行役的困倦 e、对年华虚掷的激愤 quotes

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जो मेरे थें,
वो किसी और के हो गए,
जो किसी और के थे,
किसी और के ही रह गए।

हम भी चले थें किसी रोज़
ज़िन्दगी के इस दौड़ में,
क़दम बढ़ते रहें दिन रात,
और मंज़िल उतने ही दूर रह गए।

एक रोज़ उन्होंने हाल-ए-दिल पूछ लिया,
इस बात पर हम थोड़े डर गए।
उनकी ज़िद और मायूसी देखकर,
समंदर सा इश्क़ था,जो बह गए।

वो हँसने लगी मेरी नादानियों पर,
की दिल के आगे तुम्हारे अक्ल कैसे हार गए।
नामुमकिन है जो,ये बात इतनी आसानी से कह गए,
आगे जवाब तो कुछ ख़ास ना था,बस दिल ने इतना कहा....

कोई उम्मीद ना होते हुए भी,...है तुमपर एतबार
सपनों की सरगोशियों में करता रहूंगा मैं प्यार।
उम्र कम हो रही है मेरी और बढ़ रहा है इंतज़ार,
इस जन्म में ना सही,अगला होगा मोहब्बत का एक संसार।

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28 JUN 2020 AT 9:28

सिर्फ इजहार प्यार नही होता
इंतज़ार भी मोहब्बत की तालीम का हिस्सा हैं,
रूह भी तड़पे ये हर किसी के साथ नही होता
काविश में रहना भी आशिक़ की जिंदगी का हिस्सा हैं।

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26 OCT 2020 AT 11:33

I am not a story ,
Neither a poem ,
Neither a verse ,
Neither a song ,
Neither a dream ,
Neither a photograph ,
Neither a flower ,
Neither a painting ,
I am just " ME "
I defy comparison
I am unexplainable.
Neither beauty
Nor intelligence
Nor creativity
Nor nature
Can define me.
I m just " ME "
Raw and earthy
Unadultered and untouched.

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24 JUN 2020 AT 9:59

चाँद को मुट्ठी में रखने की ख्वाहिश नही करती,
डूबता हैं जिस तालाब में वो तालाब अपना हैं,
इजहार प्यार की बात नही करती,
खास जो अहसास हैं वो अपना हैं,
पास रहो सदा ये दुआ भी अब नही करती,
गिलाफ़ की परतों में लिपटा वो अक्स अपना हैं,
जिक्र भी हमेशा नही करती ,
मिलता जब नींद में तू वो ख्वाब अपना हैं,
मिले या बिछड़े हम ये विचार नहीं करती ,
जो हैं दरमियां अनकहा सा रिश्ता वो अपना हैं।

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17 JUN 2018 AT 23:56

हो जाती थी हॉस्टल में हर बिमारी ठीक जिससे,
वो एक मेरे पापा कि कॉल थी।
........................................................
In my hostel life
I used to be the happiest soul
Whenever I attend my FATHER'S CALL

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10 JUL 2018 AT 22:30

Neither your past nor the present ways will work out for the coming challenges,
So face out rather than to face down !!


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26 FEB 2021 AT 20:38

Crave not to be someone's poetry,
for you're a language yourself
let them seek to learn
no matter how incoherent
or what mess thrives under your skin,
you are a vast expanse for little minds
let yourself be too much for their senses
too much to fit into their definitions
be so terribly flawed,
they could possibly not fathom
for, you are one whole effin' dictionary.

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29 DEC 2017 AT 20:33

सनसनाहट है,,,किसी के आने की,,
उसके आने से,
थोड़ी धुंधली छाई है,
गिरगिट भी रंग बदलने लगे हैं,
हवाओं में भी थोड़ी तेजी सी आ गई हैं,,
और मेरा मन बस उसका हाथ पकड़ना चाहता हैं,
उसकी सूनी आँखों मे नमी लाना चाहता हैं,,
जो बाते कल्पना की चादर तले हैं,
उसको दिखाना चाहता हैं,,,
क्यूं ये कलियाँ खिलकर मुरझा रही हैं,
कंयू ये खरोंदे टूटकर भी मुस्कुरा रहे हैं,,
तुम बैठों इस धुंधली में,,
जान घुटन तो नही हो रही तुम्हें??
दिल धड़क तो रहा हैं ना??
साल बीत रहे हैं सिसकियों के,
पर जिस्म बर्फ सा आज भी अकड़ा हैं,,
क्या हुआ मैं बोल नही सकती,,
तुम सुन नही सकते,,
खैर तुम्हारा मन लग रहा है ना??

(कुहू)




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14 FEB 2020 AT 9:26

उस अपरिभाषित संवेदना को -
जिसका अनुभव परे है
हमारी सारी इंद्रियों से
जो किसी भाषा के शब्दकोष में
या किसी विज्ञान की पुस्तक में
लिखी ही नहीं जा सकती
और जो समा नहीं सकती
देश, काल या पात्र में,
जिस तरह से तुम आकार देते हो,
ये स्पष्ट हो जाता है कि
तुमने प्यार नहीं
कुछ और किया होगा।

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30 DEC 2017 AT 21:02

लो ये जहर की पोटली,, पीकर बताना इसका स्वाद कैसा हैं?.....क्या गहराती नदी के ख्वाब के जैसा हैं?.अब.तुम भोले बन जाओ जैसे हर बार बनते हो....छोटीे पत्तियों को जैसे मक्खन लगा के सिसोरते हो..................फिर उंगली में लगाके चुसते हो.........,,,क्या हुआ,, पिया नही जा रहा,,,अरे पियो ना,,,,,मैं तुम्हें मरने नही दूंगी,,,,, याद आया वो मेरा छत से कुदना,,...सनसना के मेरी यादों मे अब तुम तबतक झुमना,,,,जबतक तुम्हारी सांसों मे जलन ना आ जाए,,,,,आखें पीली रोशनी को भी देख ना पाए,,,,,,,,स्याह अंधेरी रातों से पहले जरूर बता देना,,,,,इसका स्वाद कैसा था...फुसफुसाओं मत.....जोर से बोलो।.....अब मुझे अंदर की बातें समझ नही आती ..........थोड़ी कड़वी लगी क्या......हाँ.हाँ..हाँ...हाँ.......।।....एक बात कहुँ... मेरी मीठी और भी कड़वी हैं..... तुम्हें कभी मरने नही देंगी......क्यूँ क्या हुआ,,, क्यूँ मरना चाहते हो....कितनी मोहब्बत है मुझे तुमसे.....अरे मैं तो भुल ही गई...प्यास लगी थी ना तुम्हें...अच्छा बोलो भी लाल पियोगे या हरा.......नही समझे....लाल मेरी माथे से बह रहा हैं...... और हरा मेरी जिस्म की कुढ़न से...........

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