उलझने और बंद होते रास्ते
कोशिशों की उधेड़बुन में जागते
टूटते हुए सपने
छूटते हुए अपने
आशाओं की बौछार
आँखों में सपनों का संसार
बेचैन मन और अस्थिर काल
सब जाकर ठहरे उसी के द्वार
जहाँ से शुरू हुआ था निर्माण
अंततः यही है सबका आरंभ और विनाश।-
अनकहे ख्वाब हैं कई अब इन्हें पिरोने की शुरुआत कर... read more
सर्द हैं कुछ यहाँ, कुछ गर्म भी लगता हैं
इन लपटों के पास मग़र सब पिघलता हैं
सरहद सी दूरी हैं, कुछ खामोशियाँ भी लगती हैं
आँखे हिज्र में डुबी हैं, या यादों में भर्ती हैं
शोर भी बहुत है ,कुछ सन्नाटा भी लगता है
पुरानी गलियों सा -सब अधूरा मिलता हैं
चलते भी जाना है,और ठहरना जरूरी लगता हैं
तू ही कह दे ज़िन्दगी, क्या सुकून का ठिकाना होता हैं?-
बीते कल के कुछ ग़म
और कल क्या होंगे हम
वक्त देखों!
बीतती उम्र के पहलू के बचें हैं ,
अब किरदार कम।-
चारों तरफ खामोशियां हैं,
मग़र शोर -सा सब चुभता हैं
प्रेम एक मर्ज़ हैं,
क्या किसी शहर में,
इसका इलाज मिलता हैं?-
यूँ नजर से तेरी, मिले मेरी नजर
भले आँखों में इजहार ना हो,
ओस की बूंदों से भीगे ये पत्ते
भले बरसात ना हो,
सुनसान हो सड़कें
भले कोई पहरेदार ना हो,
खिड़की के खुले हो सारे पर्दे
भले कोई रिवाज़ ना हो,
मिलने मुझसे आते रहना तुम
भले कोई बात ना हो,
सिलवटें समेट लेना बाजूओं की
भले कमरे में मेरी आवाज ना हो।-
आधा चाँद ,पेड़ की पत्तियों से आता प्रकाश
सर्द मौसम ,हवाओं का जाल
मुस्कुराहट हल्की,ना हो कोई बात
बन्द आँखे ,कुछ हसीन ख्वाब
थम जाए लम्हों में हम तुम,ये मेरे कैसे जज्बात
भूल गयी में दुनिया, याद सिर्फ तेरे ख्यालात
हाथ थामे दो हाथ,ऐसी भी एक रात।-
होश में नही हूँ मैं अब तक ,
बीता हुआ सब ख्वाब जैसा था
सोच रही हूँ मैं अब तक,
क्या इश्क़ में कोई तुझ जैसा था
आँखे पढ़ रही हूँ मैं अब तक,
देखा तूने तो सब शराब जैसा था
-
घूमते-फिरते ,भटकते
कुछ झूठ कहते ,कुछ सच को छिपाते
नकाबों की दौड़ मे जीतते -हारते ,
जो पूरे दिन कुछ अलग होता हैं,
आखिर को रात में वो शख्स" मैं"होता हैं।-
पिघली हुईं मोमबत्ती से बेवजह
लिपटी मोम; प्रेमी से विरह के पूर्व में प्रेमिकाएँ।-