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"जज़्बात अलग है पर बात तो एक हैं
उसे मां कहुं या भगवान बात तो एक हैं" 😊❤️-
तुझा हात सख्या हाती असावा ....
नको आपल्यात कशाचा दुरावा ....
दुसऱ्याचा आता विचार आपल्यात नसावा ....
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अब जाओ भी तुम,
तुम्हें अपनी खुशियों का दान दिया..
तुम्हारे लिए,
गम,दर्द,तंहाई,बेसुमार नफ़रत
अपने नाम किया..-
Murshad________
Halat ne mere chehre ki chamak cheen li
Warna yun do char baras mein budhape to nahi aate-
कर दे तू नजरे-करम इतना, कि मैं इश्क़-ए-उन्मादी हो जाऊँ,
फकत इतना सा पिला दे जाम-ए-इश्क़, कि मैं इश्क़ के जहर का आदि हो जाऊँ...-
अदायें तो सीख लीं महबूब ने नज़रों से क़त्ल करने की साहिब,
मगर तालीम न सीखी, इज़हार-ए-इश्क़ करने की!!
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लाख जतन किए महबूब ने नुमाइश-ए-इश्क़ में ग़ालिब,
पर मैं अबोध बाली उमर की नादानीयाँ समझ निहारता ही रह गया...-
महबूब के मदहोश ख्वाबों में डूबकर ही इश्क़ की गहराई को समझ पाया साहिब,
वरना इश्क़ के फलक पर कमबख्त फिसलन बहुत है...-