Nandini Agrawal   (Nandini❤)
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Joined 31 January 2021


Joined 31 January 2021
10 JUN AT 14:02

मंजिल ने कहा मैं हासिल नही तुझे
तू कहीं और दिल क्यों नही लगाता

मैंने कहा मैं लाख कदम चला तेरी ओर
दो चार कदम तु क्यों नही बढ़ाता

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27 MAY AT 17:03

अपनो की खुद से ज्यादा
परवाह करने वाले

हर शख्स को
अपनो की नज़रअंदाज़ी मिली हैं

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15 MAY AT 20:25

एक कंधे पर जिम्मेदारियों का बोझ
दूसरे पर सपनो का भार रखा हैं

चिड़चिड़ापन पर्दा बन गया स्वभाव का
पर दिल में मासुमियत को थाम रखा हैं

समझदारी समय की जरूरत बन गयी हैं
पर फिर भी बचपना अपना सम्भाल रखा हैं

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26 MAR AT 23:37

जिसको माना अपना सब कुछ
उसने अपना सब कुछ हार दिया हैं

किसी ने माँगा उससे हाथ उसका
और मजबूरी में ही सही
उसने उसका हाथ थाम लिया हैं

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20 MAR AT 21:25

और वो समझा ही नही
उस से नाराज़गी नही
मन में उदासी हैं
उसे खो देने की

वो समझा ही नही
बातें बहुत करनी हैं उस से
पर ना मंजूरी हैं
उसके सामने
उसके लिए रो देने की

वो समझा ही नही
बात नही हैं ये मोहब्बत निभाने की
एक वादा हैं उसके बिना भी
बस उसका रहने की

वो समझा ही नही
एक तलब हैं पूरी दुनिया के सामने
उसे बस अपना कहने की.................

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12 MAR AT 20:52

होली के रंगो में
आपका रंग नही होगा

पापा एक और त्योहार
आपके संग नही होगा

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8 MAR AT 20:07

स्त्री ही स्त्री की दुश्मन बनी
स्त्री ने ही दूसरी स्त्री का घर तोड़ा हैं

मर्द की मोहब्बत तो बस बहाना रही
मर्द ने अपना मन भर जाने पर हर स्त्री को छोड़ा हैं

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1 MAR AT 20:05

उसको खुद के वादों पर गुमान बहुत हैं
वो कहता हैं उसे मुझ पर विश्वास बहुत हैं

यूँ तो बढ़ जायेंगे हम दोनों अपनी राहों में आगे
पर दिल को दोबारा उस तड़प तक
ले जाने के लिए हमारी एक मुलाक़ात बहुत हैं

वो बंध जायेगा वक़्त की बेड़ियों से
और मैं मर्यादा लांघ नही पाऊँगी
पर रहूँगी उसके साथ बिना किसी उम्मीद
मुझे अपनी सरलता पर अभिमान बहुत हैं

वो कह दे तो रुक जाऊ
वो कह दे तो चली जाऊंगी मैं
मुझे उसकी सहूलियत का अहसास बहुत हैं

वो कहता हैं बस विश्वास की डोर थामे रखना
क्यों की दूरियों में मोहब्बत पर इल्ज़ाम बहुत हैं

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23 FEB AT 18:19

जितना उसको चाहा उतना उसमे खोती गयी
मैं.. मैं ना रही बस उसकी होती गयी

वो बदल गया वक़्त की करवटों के चलते
और एक मैं जो उसके लिए उसके हिसाब से ढलती गयी

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28 JAN AT 21:59

तेरे कंधे पर मेरा सिर
और परेशानियों से
थोड़ा इनकार हो

तुम साथ हो मेरे
और सामने केदार धाम का
दीदार हो

बस कुछ इस तरह खत्म हमारा इंतज़ार हो ❤

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