कोशिश तो रहती है सब कुछ समय पर हो जाए लेकिन न जाने क्यों देर हो जाती है कैसे चाहती हूँ रिश्तो में पड़ी दरारे जल्दी से भर जाए लेकिन न जाने क्यों देर हो जाती है कैसे
की हम हर बात को हस कर भुला देंगे कुछ तुम बोलना कुछ हम सुना देंगे मगर याद रखना बात वतन कि ना करना वरना जान लो हिन्दुस्तानी है तुझे तो छोड़ो तेरे सारे खानदान को मिटा देंगे ।।
ख़याल है पर गायकी भूल चुके हैं। रियाज़ पहले भी कम हुआ, कुछ दिनों से छोड़ चुके हैं। शायद, अब श्रृंगार रस हम गाकर न बता सकें। बोलो, कविता सुनके भाव समझ जाओगे?