हिंदी जन-जन की भाषा है 🙏🙏
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वो पग-पग पे बांट जाएंगे,
तुम हर रग में रंग दिखला जाना,
आर्यावर्त के पावन भूमि को, हिन्द-हिन्दी सिखला जाना।।-
हिंदी दिवस के अवसर पर, हैं शब्द हिंदी के मान में,
मैं भारतवर्ष की बेटी हूँ, कुछ कहूं तेरे सम्मान में,
जन्म लिया मैंने भारत में, मातृभाषा मेरी हिंदी है
पर हिंदी से ज्यादा अंग्रेजी, क्यों पड़ते मेरे कान में,
शब्द सुधा का तू दर्पण, है मनोभाव का उत्तम वर्णन,
मन:स्थिति का सुंदर चित्रण, सब मिलता तेरे ज्ञान में,
सीमित ज्ञानकोष है मेरा, तू अथाह ज्ञान का सागर है
मैं मूढ़ प्रयास असीमित कर लूं, शब्द कम हैं तेरी शान में !
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एक आकुल सी,
थोड़ी आक्लन्त सी,
स्त्री के आक्रन्दन ने,
भौहें तना दी वक्र सी,
बांधा मुझे प्रश्नों के साँखल में,
चित्त डूबा था नैराश्य सागर में,
(पूरी कविता पढ़िए अनुशीर्षक में 👇👇👇)
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बिखरी है जो देश-विदेश, निज मन में बस ये ही आशा
अब अपनाएं हिंदी को जन-जन, बन पाए ये राष्ट्रभाषा-
सम्मान होना चाहिए
अपनी
हर शब्द ओढ़े आँचल
श्रृंगार बिंदी के लिए
सर छतरी के लिए
चाँद बिंदी के लिए-