हास्य कविता
शीर्षक : नाइट वॉक
पूरी कविता कैप्शन में पढ़े।-
चप्पल( हास्य)
पैरों संग चलती थी तो आगे बढ़ाती थी
पड़ती थी तो तेज दौड़ाती थी।
चलती थी तो सिर्फ अपनी होती थी
पड़ती थी तो कभी मम्मी की,
तो कभी मास्टर जी की
तो कभी
पड़ोस में रहने वाली शर्मा जी
की बड़ी बेटी की होती थी।
अपनी वाली चप्पल बहुत आगे तक ले गई
और दूसरों की बहुत कुछ सिखा गई।
चप्पल की बात बस
इसलिए याद आई, क्योंकि
यह चप्पल शर्मा जी की बड़ी बेटी को
हमारी अर्द्धांगिनी बना गई
इसी वजह से
आज अपने इस शौक पर
पछता रहे हैं
और शौक से ही रोज खा रहे हैं।-
सखे पाच वडापाव खाऊन
आता बिघडलय माझं पोट
पैशेही संपले म्हणून,
गोळी घ्यायला दे आता दहाची नोट...
😂😂😂😂😂😂😂-
सदा सुखी रहो
😍😍😍😍
ऐसे आशिर्वाद के कारण
✋✋✋✋✋✋✋
बहुत लोग
👬👬👬👬
कुँवारे रह जाते हैं..
🚶🚶🚶🚶🚶
🤦🏼♂️😂😂😂🤦🏼♂️-
इस मजे के आगे कोई मजा नहीं,
प्रकृति के सजे के आगे कोई सजा नहीं,
अपने शरीर की पट-पूट की ध्वनि कभी सुना नहीं,
खुदा कसम जब भी वो आती है करती जरा भी रहम नहीं,
मुस्कुरा कर आगे पढ़ते रहो ये मेरा कोई वहम नहीं,
इश्क़-मुश्क मत समझना ये तजुर्बा फिलहाल हमें हुआ नहीं,
मुझे भी वही हुआ है जिसने कभी किसी को छोड़ा नहीं,
क्या कहूं दोस्तो इससे ज्यादा बकवास कभी किया नहीं,
कमबख्त को एक तरफ से होंठों को छुने रोकता हूं,
तो दूसरी तरफ से शुरू हो जाती है,
दर्द निगोड़ी तो और है अंग-अंग दबा रही है,
और इनका भाई बुखार साला सर से पांव तक जला रहा है,
समझ रहा है मैंने इसकी बहन को फंसाया है,
अरे भाई तेरा बाप वायरस खुद रिश्ता लेकर आया था।
#शायर_बीमार #पल_दो_पल_का_शायर #हास्य_काव्य
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सखे त्या वडापावातील
बटाटे खूपच होते ग कच्चे
मी तर स्वप्न ही पाहिलं होतं
की असतील भविष्यात आपले दोन जुळे बच्चे
😂🤣😂🤣😂🤣😂🤣-
मेरे जीवन में है एक नारी
जो है बहुत बड़ी अत्याचारी
बो करती है अपनी मनमानी
जैसे छोटे बच्चे में हो नादानी
मै करता हूं उसे सुबह शाम प्रणाम
जिसने करदिया मेरा जीना हराम
ना देखती है बो कोई घड़ी
हमेशा बिस्तर पर रहती पड़ी
ना जाने कोनसी थी बो घड़ी
उसे ले जाए यमराज भगवान
जिसने बांधी मेरी उससे लड़ी-
एक शायरी की महफिल थी जमी...एक शायरी की महफिल थी जमी,
सारी सीट भर चुकी थी वैसे...पर एक शायर की फिर भी थी कमी,
शायर का और महफिल का तो...अलग ही एक रिश्ता sa बना होता है,
शायर को महफिल दिखनी चाहिए बस...जगह तो वो अपने आप बना लेता है,
मैं भी उस महफिल में गया...दो चार थो कविता और शायरी मैं भी सुना आया,
जनता ने तालियों से मुझे सराहा... मैंने सोचा लगता है जनता को मजा आ गया,😃
तो मैंने कहा एक और कविता इसी बात पे सुना देता हूं...चलो तुम भी क्या याद रखोगे,
कविता अच्छी लगे तो तालिया बजाना...वरना मेरा क्या ही तुम बाल पाड लोगे,😆
श्रोतागण भी बोले भाईसाहब कविता सुनानी है तो सुनाओ... वरना लौटके अपने घर को वापस जाओ,🙃
अब महफिल में खड़ा था तो कुछ तो सुनाना ही था... मैंने भी कहा कविता सुनाऊंगा पर उसके पहले चर्चे मेरे करवाओ,😉😅
एक शायरी की महफिल थी जमी...एक शायर की थी वहां पर कमी,
मैंने जाके वो कमी पूरी करी...वरना बनी बनाई महफिल की वाट पड़ी थी लगी।-
जीवन जगायचं असेल तर गात,नाचत,हसत खेळत रहा जीवन हेच आहे
विश्व हास्य दिन की शुभकामनाएँ!-