जवाब देने हैं, सवाल बाकी है
दिल में अब भी मलाल बाकी है,
नया रंग उमड़ आया बादलों पर
पूछना उनसे उनका हाल बाकी है,
इक कागज की कश्ती बहाई थी
देखना हवाओं की चाल बाकी है,
शोर तेज है आज धड़कनों का
वो करीब हैं, ये खयाल बाकी है,
पिघल रहा वक्त 'दीप' हर लम्हा
ख़ामोशियों का ये साल बाकी है !-
ज़िन्दगी चाहे भी न तो 'मुस्कुराना' पड़ता है
हाल दिल का कुछ भी हो 'अच्छा' बताना पड़ता है-
तुझसे एक बात कहते-कहते खुद को रोक लेती हूं ,
तुफान के बाद का मंजर मैं अक्सर सोच लेती हूं !!
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उसे सोचता हूँ.. तो सोचूँ
क्यूँ उसे मेरी.. याद नहीं आती
हमनें मरने की भी ठानी.. तो लगा
कोई जिंदगी.. साथ नहीं जाती
"जाँ" से बढ़कर भी कुछ है
मुझे समझ यह.. बात नहीं आती
क्या है ज़िन्दगी.. क्या मुहब्बत
बस शज़र से.. पंछी की आस नहीं जाती
फिऱ से अंकुर आयेंगे
नज़र से.. शाख़ नहीं जाती
हवा है.. बस इक़ सरसराहट है
चाह कर भी.. हाथ नहीं आती
आँखों के समुख अंधेरा सा है
जाने क्यूँ.. दिन में भी यह रात नहीं जाती!-
क्यूँ चाहतें खड़ी ये करती , लाख है सवाल
मैं मुस्कुरा के दिल का तेरे , रख न सका हाल-
दर्द ने दर्द से दर्द का हाल कब पूछा
ज़ख़्म मिलते गए वक़्त गुज़रता गया-
जो याद नहीं करते,
बात तो वो भी किया करते है।
जो मोहब्बत नहीं करते,
हाल तो वो भी पूछ लिया करते है।।-
तुम्हारे जाने के बाद मेरा हाल पूँछ लिया होता
कैसे रहा हूँ तुम बिन ये सवाल पूँछ लिया होता
तुम्हारे दीदार से मुस्कान आया करती थी कभी
कैसी रंजिशें और कैसा मलाल पूँछ लिया होता
ख़्वाब भी मेरे अब मेरे अपने न रहे तुम्हारे बिना
कौन रखता है अब मेरा ख़याल पूँछ लिया होता
कोई अपना नहीं यहाँ बेगानों की दुनिया है सारी
ज़िन्दा हूँ कैसा है ये अब कमाल पूँछ लिया होता
सब छोड़कर चले गये और लौटकर ख़बर न ली
अब मुझे जाना कहाँ है फ़िलहाल पूँछ लिया होता
मुझे तुम याद आते हो और मैं सहम सा जाता हूँ
लौट आओगे एक पल निकाल पूँछ लिया होता
ख़ंज़र चुभा-चुभा कर दिल का दर्द सहा "आरिफ़"
पोंछ लो आँसूं ये रखा है रुमाल पूँछ लिया होता
"कोरा काग़ज़" हो गयी ज़िन्दगी तुम्हारे जाने से
मेरी कलम में भी है एक जमाल पूँछ लिया होता-