'ट्रकों पर कोरोना शायरी’’
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अमृत भूमि प्रयागराज जन चेतन आध्यात्मिक का संगम,
छलका अमृत, हुआ देवत्व, हुआ तब यह दुर्लभ संगम।
देश विदेश में हुआ चर्चित, खींचे चले आए जैसे चुंबक
उमड़ पड़ा अथाह जन सैलाब मनभावन दृश्य विहंगम।
रज पद स्पंदन सनातन गौरव स्वर्ग सम त्रिवेणी परिवेश,
आस्था की डुबकी, तन मन प्रफुल्लित, आत्मिक जंगम।
पुण्य सलिला तीर पर, यज्ञ अनुष्ठान की प्रज्वलित लौ,
जैसे देव स्वर्ग से अनुभूदित हर क्षण आशीर्वाद हृदयंगम।
वैचारिक नैतिक सात्विक से ओतप्रोत सर्वस्व सर्वत्र ओर,
जो बने हिस्सा भाग्यशाली, आधि व्याधि तज हुए सुहंगम।
हर एक के जीवन में होता यह प्रथम और अंतिम अवसर,
जीवन सुफल, दुःख दर्द निष्फल, जैसे यह मोक्ष आरंगम।
आत्मशुद्धि, वैचारिक मन मंथन का सुव्यस्थित आश्रय,
नश्वर तन का अटल अंतिम सत्य, यही संगम यही मोक्षम
सदियों से बना यह अति उत्तम दुर्लभ खगोलीय संयोग,
बहुचर्चित, दिव्य, अलौकिक इस महाकुंभ का शुभारंभ।
_राज सोनी-
सब सच्चाई छुप गई स्वार्थ में यहां
अब झूठ ने सब जगह जगह बनाई हैं-
ना चाहिए किसी की धन माया
ना चाहिए किसी के वस्त्र काया
मिल जाए पवित्र विचारों वाली लक्ष्मी!
जो आनंद को नर से नारायण बनाए!
वहां हों सिर्फ़ परमात्मा की छत्र छाया-
जहां सत्य होता है वहां श्रद्धा स्वयं हों जाती है
क्योंकि आनंद ' सत्य स्वयं ईश्वर का स्वरूप है।-
जो प्रभु इंद्रियरहित होनेपर भी समस्त
बाह्य और आंतरिक इंद्रियोंकी शक्तिको धारण करता है सर्वज्ञ एवं सर्वकर्ता है उस सबके सेवनीय परब्रह्म परमात्मा को मैं नमस्कार करता हूं!|
आनंद चौधरी ' हरिद्वार-
हे सर्वव्यापी अंतर्यामी अनंत जगत जननी
हे सखेगुरू निर्विकार नामरूप स्वरूप अनादि
हे देवो कि देवी देव"वेद"विश्वमाता परम् शक्ति
हमें सद्बुद्धि दें सद् मार्ग कि सत्य राह दिखाओ
हमें सच् में सत् सात्विक सत्य के सत् दर्शन कराओ
हमें सत् चित् आनंदा आनंदमय शुद्ध सिद्ध बनाओ
हे मातृ शक्ति हमें अपने चरणों तथा कार्यों में सदा
बनाएं रखना हे महामाया शिवा शक्ति परम् प्रज्ञा
हे मां प्रणाम्: हे आपको सत्यम्:-
क़दे जन जन का कर्या सम्मान पूर्व भारत में
आज क्यों भूल गया हर इंसान न्यू भारत में।-
कभी राम रट्या कभी श्याम रट्या कभी हनुमान रट लिया
ईश्वर की माया का कोई पाया पार नहीं मन्ने हर बार रट लिया
" आनंद चौधरी ' हरिद्वार "-