हवा में जब घुला ज़हर यहां मुझे महक याद आई
तुम छोड़ गए ऐसे तब तुम्हारी एहमियत याद आई
फ़ासलों ने बताया मुझे तुम कितने करीब रहे मेरे
तुम्हारी ग़ज़लें पढ़कर तुम्हारी आदमियत याद आई
सुकून और आज़ादी पाने को छोड़ा था गांव मैंने
चकाचौंध में उलझकर तुम्हारी शहरियत याद आई
तन्हाइयों ने डेरा डाला पूछने वाला नहीं कोई मुझे
गुज़रे थे तुम इस दौर से तुम्हारी ख़ैरियत याद आई
बारहां मिले मुझे भटकाने वाले नशेमन ज़माने में
तहज़ीब से छूट कर ही तुम्हारी तरबियत याद आई
ढोंग छोड़ो जो कहना है खुल कर कहो न मेरे यारों
बातों में छली गई तो तुम्हारी मासूमियत याद आई
बिछड़ कर जाने वाले हमदम तुम्हारी गुनहगार हूँ मैं
हो कर लापता खुदसे तुम्हारी शख्सियत याद आई
साथ छोड़ गए हैं सब मुझे अपना कहने वाले मेरे
यूँही नहीं 'जोयस्ती' को तुम्हारी एहमियत याद आई-
होगी मुहब्बत चन्द दिनों की तेरे लिए मेरे हमदम
हमने तो तेरे इश्क में पूरी जिन्दगी गुजारी है़......-
जब भी कभी किसी से प्यार करो 'अभि' तो इतना करो कि वो
जानशीं-सनम हैरत में पड़ जाए कि क्या ये सच में हक़ीक़त है।
रिश्ता जो रूहानी होगा तो वो ख़ुद ही समझ जाएगी जज़्बात
तुम्हारे बताने की जरुरत नहीं कि तुम्हे उनसे बेइंतहा मोहब्बत है।-
आँख से पर्दा हटाओ तो हटा कर बोलो
काश मुझको भी कभी अपना बना कर बोलो
दिल की धड़कन में समाते हो सुनो तो हमदम
आज लब पर नाम मेरा तुम सजा कर बोलो
तुमसे मिलकर ही मुझे भी चैन मिलता है अब
तुम भी मुझको अपने दिल में बसा कर बोलो
पत्थरों में जान होती है मोहब्बत कर लो
बोलते हैं वो कभी तुम दिल लगा कर बोलो
दर्द अपना अपने अंदर ही छुपा रक्खा है
आँसुओं को आज अपने भी बहा कर बोलो
रोज़ 'आरिफ़' ही मोहब्बत अब करेगा क्या
तुम भी इक दिन हाथ अपना ही बढ़ा कर बोलो-
आओ मरहम बन जाते हैं
एक दूसरे के हमदम बन जाते हैं
तुम मेरी ख़ुशी का ज़रीया बनो
और मैं तुम्हारे सारे ज़ख़्म भरूँ
आओ एक दूजे में मिल जाते हैं
मैं और तुम अब हम बन जाते हैं
तेरा इश्क़ मुक़द्दस हो मेरे लिए
तू भी सिर्फ़ मुझे देखकर ज़िन्दा रहे
तू हँसे तो मैं भी हँस दूँ
तुझे रोता देख मैं भी परेशान हो जाऊँ
आओ हम-नफ़स, हम-क़दम बन जाते हैं
एक दूसरे का मरहम बन जाते हैं
तुझपर सिर्फ़ मेरा इख़्तियार हो
तुझे भी सिर्फ़ मुझ ही से प्यार हो
और किसी का न कभी इंतज़ार हो
मेरी भी तुझपर जाँ-निसार हो
हम दोनों का ही एक घर-बार हो
तू सजनी और मैं साजन बन जाते हैं
आओ हम दोनों हमदम बन जाते हैं-
मेरे चेहरे का उड़ा हुआ रंग बता देता है 'अभि' कि मेरा हमदम मेरा हमनसफ़स उदास हैं।
मेरी चेहरे की मुस्कुराहट ज़ुबान की चहचहाहट बता देती कि मेरा हमसफ़र मेरे पास है।-
तेरे ही लिए चलती हैं ये साँसें मेरी, तेरे सिवा कुछ चाहिए मुझको कहाँ।
जो भी हो सफऱ मेरा मुझको तू ही चाहिए तू ही मेरा रहबर तू ही हमनवां।-
आँखे सब बयाँ करती हैं ये सुना था मगर जब मिली तुम्हारी आँखे मुझसे पहली दफा ना जाने कियू ये फसाना भी हकिकत लगता हैं।
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बहुत दिल दुखता हैं मेरा जब वो मजाक में भी ये कहता है अगर मैं तुम्हें छोड दूँ तो
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ना समझा कोई मेरे नादान दिल की सच्चाई को
मिला जो भी मुझसे, बस छलता गया मेरी अच्छाई को-