ज़ख्म हो या दर्द कहीं,दिखाये नहीं जाते आँसू हर किसी के लिये बहाये नहीं जाते चलो आज ख़ुद को ख़ुद से मनाते है कुछ एहसास अपने साये को भी बताये नहीं जाते...
दवा हर मर्ज़ की होती है,मर्ज़ का पता तो चले फ़कीर या हक़ीम किसके हाथ में है शिफ़ा पता तो चले कि बेमौत ना मर जाये कहीं,वो इश्क में उसके इश्क करती है वो भी उससे,ये ख़बर उसे पता तो चले...