QUOTES ON #स्वप्न

#स्वप्न quotes

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27 MAR 2019 AT 8:43

अतीत

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30 APR 2020 AT 8:38

आंखों में स्वप्न, पेट खाली है,
चीख रही है, रूह हिंदुस्तान की, लेकिन;
अमीरों की भूख कहां मिटने वाली है।

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11 JUN 2021 AT 10:14

स्वप्न मुझसे अक़्सर पूछते हैं
तेरे यह क़दम निरंकुश से क्यूँ भाग रहे हैं,
कल तक थे जो साथ काफ़िले में
दिल.. लोग कहाँ वो संग आज रहे हैं,
विलुप्त.. हुए जुगनू भी जलके
फिऱ नयन क्यूँ दिये से जाग रहे हैं,
जिस पतंग को पंख मिल गए
अब.. उसे परिंदे कहाँ याद रहे हैं,
ज़िन्दगी.. इक़ बचपन ही था पिंजरे से बाहर
वैसे.. बेफ़िक्र कहाँ हम अब आज़ाद रहे हैं!!

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23 FEB 2021 AT 19:38

है नहीं.. पथ पे कुछ भी
है नहीं पलक.. पे कुछ भी
पऱ स्वप्न फिऱ भी मैं देखूँगा
मैं थक-हार नहीं बैठूंगा,
हर उड़ता पंछी ढूंढेगा जमीं
है आसमाँ पे कुछ भी नहीं,
जब भूख तृप्त हो जाएगी
हर तृष्णा विलुप्त हो जाएगी,
हैं स्वर्ण-रत्न ना हाथ सही
है सिक्कों का ही साथ सही,

चाहे है नहीं.. छत पे कुछ भी
कोई गया नहीं है.. रख के कुछ भी,
पऱ.. मैं उम्मीद की सीढ़ियां चढ़ के देखूँगा
मैं "ज़िन्दगी" तेरे स्वप्न फिऱ..से देखूँगा!!

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25 AUG 2023 AT 15:35

पहले यूँ ना ज़िन्दगी... दवी-दवी होती थी
इस चेहरे पे भी रौनकें... क़भी होती थी,

...यह मरुस्थल नहीं था.. पहले जीवन में
क़भी यहाँ पे भी बहती इक़ नदी होती थी,
जाने कैसे अचानक... क्षणिक सी हो गई
ज़िन्दगी जो... एकदा.. सदी सी होती थी,

काश... मिल जाये तरुण अक्स फ़िर वही
जो आईने में पहले मेरी... छवि होती थी,
पहले यूँ ना ज़िन्दगी, दवी-दवी होती थी..!!

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23 MAY 2020 AT 17:45

एक स्वप्न आहे माझ तुझ्या सोबत जगायच..
फक्त आणि फक्त तुझीच बनुन राहायच..
कल्पना खुप केल्या आहेत मी,
आता फक्त सत्यात उतरवायचं..
घेऊनी हातात हात तुझा रमायच..
तुझ्या त्या निरागस डोळ्यात स्वतःला विसरायच..
मनातले तुझ्या न सांगता सगड समजुन घ्यायच..
घाव हृदयावरचे जे लपविले आहेत तु ते भरायच..
जपायच आहे तुला तुझ्यावर खुप प्रेम करायच..
किती ही संकटे आली तरी साथ न सोडायच..
आयुष्यभर बाजुने तुझ्या खंबीर पणे उभे राहायच..

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22 NOV 2022 AT 18:30

हर एक नयन में ज्वलित सा इक़ सपना है
अब मिलें उजाले या अंधेरे... यह तो नसीब अपना-अपना है,
...नयनों में स्थिर सा है स्वप्नों का अम्बर
बस हमें रोज़ सूर्य-चन्द्रमा सा दिन-रात भटकना है,

जीवन को इक़ अंधेरे से निकलकर इक़ अंधेरे में खो जाना है
...हमें केवल रोज़ जुगनुओं सा... पल-पल बुझना-चमकना है,
कमबख़्त... ज़िन्दगी दौड़ इकतरफ़ा ही है उम्र की यह
ना राह बदलनी है... ना पांब पलटना है!!

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19 MAR 2023 AT 20:00

साँस देह में कहाँ निवास करती है
हवा है हवा सी ही प्रवास करती है,

रोज़ ढहते हैं महल स्वप्नों के
पऱ ज़िन्दगी रोज़ नए शिलान्यास करती हैं,

जुगनुओं से जो प्रिय थे वो दूर हो गए
मुझे रात यह तारों भरी अब उदास करती है,

समय से हारना तय है सभी का
पऱ उम्र है के फ़िर भी प्रयास करती है,

"मैं" जब नींद में होता हूँ... "ज़िन्दगी"
तब मृत्यु अपना अभ्यास करती है!!

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24 OCT 2020 AT 12:02

अशी हवी मला..😌

आई सारखी निस्वार्थ प्रेम,
आणि जीव लावणारी..

काही न बोलता मला,
बाबा सारखी समजून घेणारी..

कोणत्या गोष्टीची गरज असल्यास,
दादा सारखी मला मदत करणारी..

फावल्या वेळेत दंगा मस्ती करणारी,
पण, कोणी विरोधात बोलले तर,
माझ्या पाठीशी खंबीरपणे ताई सारखी उभी राहणारी..

एक मैत्रीण बनून प्रत्येक गोष्टीत,
मला सांभाळून घेणारी..

दररोज न विसरता सकाळ आणि संध्याकाळी,
गरम आणि गरगोट आल्याचा चहा देणारी..

माझ्यावर जीवापाड विश्वास ठेऊन,
प्रेम करणारी, समजून घेणारी, सोबतच घराला घरपण देणारी..

हो.. अशी हविये मला...😉

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3 JUL 2021 AT 16:49

स्वप्न

स्वप्न बघितले भरभरूनी
काय झाले काय करूनी,
आई वडिलांचं एकच स्वप्न
मूल करीन नाव मोठं,
मुलाने तर केला प्रयास
पण घसरले अंतर ,
हार नाही मानली त्याने
केला जिद्दीने अभ्यास,
परीक्षा झाली उत्तीर्ण
आणि रीजल्ट बघते तर काय,
पहीला नंबर आणला त्याने
आई वडिलांच्या डोळ्यातील
अश्रू आनंदाने हरवून गेले
ते क्षण मनाचे
म्हणुनी,
स्वप्न बघितले भरभरूनी
साकार झाले ते आज करूनी....

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