उम्रदराज़ ज़िन्दगी यह मेरी हो गयी
दिल... अब रात अंधेरी हो गयी,
ढ़लती उम्र में फिऱ से प्यार हुआ है
मुसीबत बहुत ही.. गहरी हो गयी,
पहले ही कई थे मेरी जान के दुश्मन
अब यह.. याद भी तेरी हो गयी,
मेरे जनाज़े तक तो वो आया था
पऱ मुझसे उठने में ही देरी हो गयी,
ज़िन्दगी इक़ सोने का महल था
अब मिट्टी की.. ढेरी हो गयी,
दिल..रहने दे ना.. अब रात अंधेरी हो गयी!!-
छोड़ कर जानें वाले क्या जानें !
की यादों का बोझ कितना भारी होता है।
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चलो.. कहीं दूर चलते हैं
भूल कर सब बातें.. कुछ अलग सोचते हैं,
किसी विराने में.. किसी नदिया के किनारे बैठकर
रेत की दीवारें बनाकर.. आंसुओं को रोकते हैं,
शायद देखकर साहिल को डूबता हँसी आ जाये
या फिऱ ख़ामोश कोमल नदी की आँख भर आये
चलो आज ख़ुद को डुबाकर देखते हैं
बहती नदिया को रुका कर देखते हैं,
पुकारते हैं चलो.. के कोई अपना आये
पऱ कहीं इसी आशा में निराशा ना छा जाए
चलो ख़ुद ही कागज़ की कश्तियाँ बनाकर देखते हैं,
ख़ुद को उनके सहारे बचाकर देखते हैं,
लौटना मुश्किल है तो फिऱ तड़पना कैसा
जिस्म को जाँ से दूर तो होना ही था
बहुत जागे ज़िन्दगी की रातों में.. आख़िर इक़ दिन आंखों को सोना ही था,
गैरों से हाथ बहुत मिलाये.. चलो आज अपनों को गले लगाकर देखते हैं
ज़िन्दगी को छोड़कर.. मौत को अपना बनाकर देखते हैं...,
चलो.. कहीं.. दूर चलते हैं!!:-
मेरी एक,
नामुमकिन सी,
ख्वाहिश है,
बारिश हो,
पर........!
कीचड़ ना हो।-
सब यह, आधे-अधूरे रिश्ते हैं,
पूरे हुए, यह कब किसके हैं,
वो भी तो अकेला ही गया,
मैयत में हजारों लोग, पीछे, जिसके हैं..!
सब यह, आधे-अधूरे, रिश्ते हैं...!-
जब हम पहली दफा मिले !
तो हमारी "दोस्ती" हुई।
बातें बढ़ी !
तो आप "आदत" बन गए।
ख़ैर अब तो आप "ज़रूरत" बन गए हो।
दूर जाने की सोचना भी मत।✍️✍️✍️-
मैं तेरी आँखों का तारा और मेरे पूरे चाँद हो तुम
मैं तेरा इक पूरा सपना और मेरे सारे अरमान हो तुम,
मैं तेरा इक केंद्र बिंदु और मेरे पूरे वृत्त हो तुम,
तुम्हीं से नाम हमारा, तुम्हीं से है अब मान हमारा,
पैरों के बिछुओं से लेकर सिंदूर भी तेरे नाम का है,
तेरे बिन ओ साथी, मेरे ये सब किस काम का है,
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गली गली में मच गया शोर,
आने वाले है "माखन चोर"
यशोदा मां के राज दुलारे!
श्री कृष्ण है आराध्य हमारे।
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शायरों से ताल्लुक रखो..तबियत ठीक रहेगी,
ये वो हकीम.. हैं जो अल्फाज़ो से ईलाज करते है ..!!-