"क्यूँ शब्दों की जेल में रही,
आजतक जिसे कोई बेल न
मिली, वो और कोई नहीं ,
है एक स्त्री "
(ये अंत नहीं शुरुआत है,
पढ़िए इसे पूरा
👇नीचे लिखें जज़्बात है।
जो कह रहे समाजी
हालात हैं।। )
-संध्या-
शिक्षक दिवस पर भारत के प्रथम महिला शिक्षिका माता सावित्री बाई फुले और ज्योतिबा फुले जी को कोटि-कोटि नमन 🙏🙏
अगर आप ना होती तो महिलाओं को पढ़ने का अधिकार नहीं मिलता-
भारतीय समाज में लड़कियों
के लिए शिक्षा के दरवाजे खोलने
वाली पहली महिला अध्यापिका
एवं
महान समाजसेविका
"सावित्रीबाई फुले" जी की
जयंती पर सादर नमन।
🙏🙏🙏-
रूढ़ियों और परंपराओं को तोड़ कर
जिन्होंने दी सबसे पहले शिक्षा
उनके जन्म दिवस पर
शत् शत् नमन 🙏🙏💐💐
सावित्रीबाई फुले 3 जनवरी
1831-
जब तक ये अवाम रहेगी
आपके एहसानो की कर्ज दार रहेगी
शत् शत् नमन 💐💐🙏🙏-
" तितली "
आकाश में उड़ रही है अपने सुंदर पंख लिए-
तितलियां रंग-बिरंगी मन भावन
उनकी आंखे दिलकश सतरंगी, हंसमुख
पंख मुड़े किन्तु भरे उड़ान आकाश में
उनका रंग रूप मनभावन
तितली की मनभावन अदा को देख
एक कली अपने पास बुलाने की भूल कर बैठी
उड़कर पहुंची तितलियां फूलों के पास
इकट्ठा कर शहद पी डाला
मुरझा गई कलियां
अपने पराग चुगने को बुलायी थी कालियाँ
फूलों कलियों का रस चखकर
वह तितली ढूंढा कहीं ओर ठिकाना
रीत है यही दुनिया की
जरूरत और पल भर के हैं रिश्ते-नाते
देख दुनिया की रीत हो जाती चकित मैं!
-
मैं अपनी बहनों को पढ़ाने का काम करती हूं,
इसलिए जो पत्थर और गोबर मुझ पर फेंके जाते हैं,
वे मुझे फूल की तरह लगते हैं.
"सावित्रीबाई फुले"-
सहा जिन्होंने कीचड़, गोबर, पत्थरों का मार...
उतारना चाहा समाज से पिछडी़ सोच का भार...
भारत की पहली महिला शिक्षिका जो है कहलाती...
कन्याओं की शिक्षा के लिए समाज से भी लड़ जाती...-