सुनो,,
इन सभी नामों के अनुरूप,
मेरे अंतस में... समाई हो राधे!!!!
फिर कैसे कह दूँ,
हम तुमसें और
तुम हमसे पराई हो राधे..!!!!
-
अब प्रोफाइल पर आ ही गए हो
, तो थोड़ा मुस्कुराइए 😊
थोड़ा गुनगुनाइये...
थोड़ा स... read more
ख्वाबों की दहलीज से
हर दफ़ा वापस
लौट आता हूँ...
बस
इस "डर " से
कंही ख्वाबों में भी
अब उसे ना खो दे हम!
-
तुम्हारे और मेरे
बीच
कुछ भी आँखिरी नहीं हैं राधे..!
सिवाय.... आँखिरी सांस के..
बोलो....
लोगी या छोड़ दोगी..??
वहीं... "सांस "
😅😅😅😅-
ये
महज
एक छाया
ही तो हैं, तुम
इसमें प्रेम संवेदना
भरने की समय जाया
नहीं करो, यह संवेदनशील
नहीं हैं, इसीलिए हैं.. अक्सर
नाजुक चीजें मैंने टूटते हुए देखा हैं!
.
.
.
इसमें प्रेम कल्पित नहीं हैं.. फिर भी प्रेम
की ठण्डकता इस छाया में हैं..!!
ऐसा मुझे लगता हैं....?-
मुक्कदर में ही तो नहीं हैं वह
फिर कैसे मुकद्दर से लड़ जाऊं
वह देखे हैं
नज़र भर
और दे गए
जीने की उम्मीद भी,
फिर
उसके बिना कैसे रह जाऊं!-
तुमने मुझे प्रेम अर्पित किया
मैंने अपना सब कुछ तुम्हें समर्पित किया..!!-
बाँध ले चलना मुझे अपने हर आयाम में
तेरा ही सिर्फ तेरा ही बनूँ हर सुबह शाम में-