वह समंदर ही तो बना के चला गया,
कमबख़्त अब वह तपन सहार में कहाँ...-
सारे दुःखों को भुलाकर मुस्कुरायी मेरे लिए,
अब आप ही बताये की आपके बिना कैसे जिये हम!!-
मेरे लिए कालीदास, वाल्मिकी और
गालिब का एक ही "मजहब" है,
बस अलग है तो उनकी "जुबान",
हर युग में उन्होंने अपने युग का "सत्य" ही तो बोला है, और सत्य बोलने से बड़ा कोई "मजहब" नहीं होता और
ना बड़ी होती किसी "मजहब की एकता"..!!!!-
इस बार भी कुछ खास नहीं हुआ
कल कल करके सारे पल बीत गए,
एहसास नहीं हुआ
मेरे अंदर की आग से बस दिन जले
और कमाल का एक पूरा साल जला गया,
साला यह साल भी चला गया...-
चाँद ने तुझे पुकारा तो सितारे भी चले आये
वीरान था जहां पर,वहां नज़ारे चले आये
वक़्त वक़्त की बात,होती है यहां तो यारो
एक दोस्त को पुकारा,दुश्मन हज़ार चले आये
थी तिश्नगी रातों की,सुबह तलक भी न बुझाई
जाम थे जो खाली,नाम हमारे चले आये
वो लूटने चले थे,बाजार सारा यारो
खरीदार बन चले थे,बन सौदागार चले आये
तूफां का भी डर था,थी हवाओं की भी चिंता
देख हौसला "विनीत",बिन पतवार चले आये
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बहुत अमीर होती है ये शराब की बोतलें,
पैसा चाहे जो भी लग जाए सारे ग़म ख़रीद लेतीं हैं-
वो प्यार से मुझे गले लगा लेता है
मैं जब रूठती हूं तो वो मुझे मना लेता है
इतनी शिद्दत से वो मुझसे मोहब्बत करता है
मेरे लिए वो सारे जमाने से अकेले लड़ लेता है
😊😊😘😘🙃❤️❤️
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बहुत अमीर होती है
ये शराब की बोतलें
पैसा चाहे जो भी लग जाए
पर सारे ग़म ख़रीद लेतीं है-