दिन में देवी
रात में बेबी
ऐसे हैं हमारे
समाजसेवी-
गरीब, दलित, पिछड़ा वर्ग, जाति, कुछ ऐसे शब्द है. जिनसे नेताओं और समाजसेवियों को बेहद प्यार हैं.वे इन्हे कभी भी दस्तावेजों में नहीं मिटने देंगे।
-
ये राही
हर दिल तू अज़ीज़ बन जाओ,
हर गले की ताबीज़ बन जाओ.
जाओ ये राही तू कहीं जहाँ भी,
उस जहाँ की तस्वीर बन जाओ...
तुझमें पनप रहा ,जन अराधना,
हो फलित तेरी, ये कर्म साधना,
जाओ बनके नदी तू बह जाओ...
बस नेता बनके, गिर मत जाना,
सेवा भाव से, तुम धर्म निभाना,
जाओ होके उदार, पेड़ लगाओ...
-mkm
-
तकलीफ़ में साथ देने में जिन्हे सांप डस रहे थे
सुना है वो चुनाव लड़ रहे हैं !-
रात दिन एक कर दिया समाजसेवकों ने राशन बाटने में..! मगर आज पता चला के लोग भूखे कम प्यासे ज्यादा हैं !!
-
समाज सेवा आदमी दो कारणों से
करता है:
एक प्रसिध्दी पाने के लिए,
दुसरा पैसा कमाने के लिए...।-
कुछ लोग समाजसेवी होते हैं
खुद की जिंदगी कितनी भी खराब हो
दूसरों की में जरूर घुसते हैं-
ऊपर ना देखिए यह तो आपका ध्यान एकत्रित करने के लिए था
अपने आस-पास सफाई बनाए रखिए
अपने पर्यावरण पर ध्यान दीजिए-
ना मृत्यु का भय,
ना जीवन से प्रीत !!
राष्ट्रहित में जीवन बीते,
यहीं क्षत्रिय रीत !!
-
इंसानों के लिए महामारी या प्रकृति के लिए जीवनदान है कोरोना।
कुदरत का कहर है या मानव कर्म परिणाम है कोरोना।।
क्या जीव हत्या और मांस भक्षण का नाम है कोरोना।
या मुक जीव एवं सृष्टि हेतु वरदान है कोरोना।।-